4जब मसीह ने शरीर में दुख झेला है+ तो तुम भी उसके जैसी सोच और नज़रिया* रखते हुए तैयार रहो क्योंकि जो इंसान दुख झेलता है उसने पाप करना छोड़ दिया है+2 ताकि वह अपनी बाकी की ज़िंदगी, इंसानों की इच्छाएँ पूरी करने के लिए नहीं,+ बल्कि परमेश्वर की मरज़ी पूरी करने के लिए जीए।+