16 और परमेश्वर के मंदिर का मूरतों+ के साथ क्या समझौता? इसलिए कि हम जीवित परमेश्वर का एक मंदिर हैं,+ ठीक जैसा परमेश्वर ने कहा है, “मैं उनके बीच निवास करूँगा+ और उनके बीच चलूँगा-फिरूँगा और मैं उनका परमेश्वर बना रहूँगा और वे मेरे लोग बने रहेंगे।”+
21 यह पूरी इमारत जो मसीह के साथ एकता में है और जिसके सारे हिस्से एक-दूसरे के साथ पूरे तालमेल से जुड़े हैं,+ बढ़ती जा रही है ताकि यहोवा* के लिए एक पवित्र मंदिर बने।+
5 इसलिए तुम खुद भी जीवित पत्थर हो और पवित्र शक्ति से एक भवन के रूप में तुम्हारा निर्माण किया जा रहा है।+ यह इसलिए किया जा रहा है ताकि तुम पवित्र याजकों का दल बनो और यीशु मसीह के ज़रिए परमेश्वर को ऐसे बलिदान चढ़ाओ जो पवित्र शक्ति के मुताबिक हों और उसे मंज़ूर हों।+