25 इसलिए बरनबास तरसुस गया ताकि वहाँ जाकर शाऊल को अच्छी तरह ढूँढ़े।+ 26 और जब शाऊल उसे मिल गया, तो वह उसे अंताकिया ले आया। इसके बाद, पूरे एक साल तक वे वहाँ की मंडली के साथ इकट्ठा होते रहे और लोगों की बड़ी भीड़ को सिखाते रहे। और परमेश्वर के मार्गदर्शन से अंताकिया में ही पहली बार चेले ‘मसीही’ कहलाए।+