3 जैसा पवित्र लोगों+ के लिए उचित है, तुम्हारे बीच नाजायज़ यौन-संबंध और किसी भी तरह की अशुद्धता या लालच का ज़िक्र तक न हो,+ 4 न तुम्हारे बीच शर्मनाक बरताव, न बेवकूफी की बातें, न ही अश्लील मज़ाक हो+ क्योंकि ऐसी बातें पवित्र लोगों को शोभा नहीं देतीं। इसके बजाय, परमेश्वर का धन्यवाद ही सुना जाए।+