11 तुम्हारे देश में गरीब हमेशा रहेंगे+ इसीलिए मैं तुम्हें यह आज्ञा देता हूँ, ‘तुम अपने देश में मुसीबत के मारों को और अपने गरीब भाइयों को उदारता से और खुले हाथ से देना।’+
27 हमारे परमेश्वर और पिता की नज़र में शुद्ध और निष्कलंक उपासना* यह है: अनाथों और विधवाओं की मुसीबतों में देखभाल की जाए+ और खुद को दुनिया से बेदाग रखा जाए।+