3 मुझ पर जो महा-कृपा हुई है, उसके ज़रिए मैं तुममें से हरेक से जो वहाँ है, यह कहता हूँ कि कोई भी अपने आपको जितना समझना चाहिए, उससे बढ़कर न समझे।+ इसके बजाय परमेश्वर ने हरेक को जितना विश्वास दिया* है उसके मुताबिक वह सही सोच बनाए रखे।+
2 इसलिए निगरानी करनेवाले को ऐसा होना चाहिए जिस पर कोई आरोप न हो, उसकी एक ही पत्नी हो, वह हर बात में संयम बरतता हो, सही सोच रखता हो,*+ कायदे से चलता हो, मेहमान-नवाज़ी करनेवाला हो,+ सिखाने के काबिल हो,+