2 मुझे तुम्हारे लिए बहुत चिंता* है, जैसी चिंता परमेश्वर को है क्योंकि मैंने ही तुम्हारी सगाई एक आदमी यानी मसीह से करवायी है ताकि तुम्हें एक पवित्र कुँवारी की तरह उसे सौंप दूँ।+
27 हमारे परमेश्वर और पिता की नज़र में शुद्ध और निष्कलंक उपासना* यह है: अनाथों और विधवाओं की मुसीबतों में देखभाल की जाए+ और खुद को दुनिया से बेदाग रखा जाए।+
4 अरे व्यभिचार करनेवालो,* क्या तुम नहीं जानते कि दुनिया के साथ दोस्ती करने का मतलब परमेश्वर से दुश्मनी करना है? इसलिए जो कोई इस दुनिया का दोस्त बनना चाहता है वह परमेश्वर का दुश्मन बन जाता है।+