13 छठे स्वर्गदूत ने+ अपनी तुरही फूँकी।+ और जो सोने की वेदी+ परमेश्वर के सामने थी, उसके सींगों से मैंने एक आवाज़ सुनी। 14 वह आवाज़ उस छठे स्वर्गदूत से जिसके पास तुरही थी, कह रही थी, “उन चार स्वर्गदूतों के बंधन खोल दे जो महानदी फरात के पास बँधे हुए हैं।”+