10 मेरा लक्ष्य यही है कि मैं मसीह को और उसके दोबारा ज़िंदा होने की ताकत को जानूँ+ और उसके जैसी दुख-तकलीफें सहूँ+ और उसके जैसी मौत मरने के लिए खुद को दे दूँ+11 ताकि मैं किसी तरह उन लोगों में से होऊँ जो पहले ज़िंदा किए जाएँगे।+
16 क्योंकि प्रभु खुद प्रधान स्वर्गदूत+ की दमदार आवाज़ से पुकार लगाता हुआ स्वर्ग से उतरेगा और परमेश्वर की तुरही फूँकी जाएगी और जो मसीह के साथ एकता में मर गए हैं वे पहले ज़िंदा होंगे।+