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  • पवित्र शास्त्र का नयी दुनिया अनुवाद

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उत्पत्ति का सारांश

      • बाबेल की मीनार (1-4)

      • यहोवा ने भाषा में गड़बड़ी की (5-9)

      • शेम से अब्राम तक की वंशावली (10-32)

        • तिरह का परिवार (27)

        • अब्राम ने ऊर छोड़ा (31)

उत्पत्ति 11:2

संबंधित आयतें

  • +उत 10:9, 10; दान 1:2

उत्पत्ति 11:3

इंडैक्स

  • खोजबीन गाइड

    सजग होइए!,

    1/8/1999, पेज 24

उत्पत्ति 11:4

संबंधित आयतें

  • +उत 9:1

इंडैक्स

  • खोजबीन गाइड

    प्रहरीदुर्ग,

    3/15/1998, पेज 24-25

उत्पत्ति 11:5

फुटनोट

  • *

    शा., “को देखने के लिए नीचे उतरा।”

इंडैक्स

  • खोजबीन गाइड

    सभा पुस्तिका के लिए हवाले, 3/2020, पेज 2

उत्पत्ति 11:6

संबंधित आयतें

  • +उत 11:1

उत्पत्ति 11:7

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  • +उत 1:26

उत्पत्ति 11:8

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  • +व्य 32:8

उत्पत्ति 11:9

फुटनोट

  • *

    मतलब “गड़बड़ी।”

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  • +यिर्म 50:1

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  • +उत 10:24; 1इत 1:18; लूक 3:23, 35

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  • +यह 24:2

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  • +उत 12:4; 27:42, 43; प्रेष 7:2, 4

इंडैक्स

  • खोजबीन गाइड

    प्रहरीदुर्ग (जनता के लिए),

    अंक 3 2017, पेज 14

    विश्‍वास की मिसाल, पेज 28

    प्रहरीदुर्ग,

    8/15/2001, पेज 14-15, 16-17

दूसरें अनुवाद

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दूसरी

उत्प. 11:2उत 10:9, 10; दान 1:2
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उत्प. 11:6उत 11:1
उत्प. 11:7उत 1:26
उत्प. 11:8व्य 32:8
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पवित्र शास्त्र का नयी दुनिया अनुवाद
उत्पत्ति 11:1-32

उत्पत्ति

11 उन दिनों पृथ्वी पर रहनेवाले सब लोगों की एक ही भाषा थी और वे सब एक ही तरह के शब्दों का इस्तेमाल करते थे। 2 फिर ऐसा हुआ कि वे सफर करते-करते पूरब की तरफ गए और जब उन्होंने शिनार+ में घाटी का एक मैदान देखा तो वे वहाँ रहने लगे। 3 फिर उन्होंने एक-दूसरे से कहा, “आओ हम ईंटें बनाकर उन्हें आग में पकाएँ।” इसलिए उन्होंने पत्थरों के बदले ईंटों का इस्तेमाल किया और तारकोल का इस्तेमाल गारे की तरह किया। 4 और उन्होंने कहा, “आओ हम अपने लिए एक शहर बनाएँ और इतनी ऊँची एक मीनार बनाएँ कि उसकी चोटी आसमान से बातें करे। इससे हमारा बहुत नाम होगा और हमें पूरी धरती पर बिखरना भी नहीं पड़ेगा।”+

5 तब यहोवा ने उस शहर और मीनार पर ध्यान दिया* जिसे लोग बना रहे थे। 6 यहोवा ने कहा, “देखो! ये सभी एकजुट हैं और इनकी भाषा एक है।+ अब तो वे जो भी करने की सोचेंगे उसे करना उनके लिए नामुमकिन नहीं होगा। 7 इसलिए आओ, हम+ नीचे जाकर इनकी भाषा में गड़बड़ी पैदा कर दें ताकि वे एक-दूसरे की बात समझ न सकें।” 8 इसलिए यहोवा ने उन्हें वहाँ से पूरी धरती पर तितर-बितर कर दिया+ और उन्होंने धीरे-धीरे शहर बनाने का काम छोड़ दिया। 9 इसी वजह से उस शहर का नाम बाबेल*+ पड़ा क्योंकि यहोवा ने वहीं पर सब लोगों की भाषा में गड़बड़ी डाली थी। और यहोवा ने उन्हें वहाँ से पूरी धरती पर तितर-बितर कर दिया।

10 यह शेम+ के बारे में ब्यौरा है।

जलप्रलय के दो साल बाद शेम का एक बेटा हुआ जिसका नाम अरपक्षद था।+ उस वक्‍त शेम 100 साल का था। 11 अरपक्षद के पैदा होने के बाद शेम 500 साल और जीया। उसके और भी बेटे-बेटियाँ हुए।+

12 जब अरपक्षद 35 साल का हुआ तो उसका बेटा शेलह+ पैदा हुआ। 13 शेलह के पैदा होने के बाद अरपक्षद 403 साल और जीया। उसके और भी बेटे-बेटियाँ हुए।

14 जब शेलह 30 साल का हुआ तो उसका बेटा एबेर+ पैदा हुआ। 15 एबेर के पैदा होने के बाद शेलह 403 साल और जीया। उसके और भी बेटे-बेटियाँ हुए।

16 जब एबेर 34 साल का हुआ तो उसका बेटा पेलेग पैदा हुआ।+ 17 पेलेग के पैदा होने के बाद एबेर 430 साल और जीया। उसके और भी बेटे-बेटियाँ हुए।

18 जब पेलेग 30 साल का हुआ तो उसका बेटा रऊ+ पैदा हुआ। 19 रऊ के पैदा होने के बाद पेलेग 209 साल और जीया। उसके और भी बेटे-बेटियाँ हुए।

20 जब रऊ 32 साल का हुआ तो उसका बेटा सरूग पैदा हुआ। 21 सरूग के पैदा होने के बाद रऊ 207 साल और जीया। उसके और भी बेटे-बेटियाँ हुए।

22 जब सरूग 30 साल का हुआ तो उसका बेटा नाहोर पैदा हुआ। 23 नाहोर के पैदा होने के बाद सरूग 200 साल और जीया। उसके और भी बेटे-बेटियाँ हुए।

24 जब नाहोर 29 साल का हुआ तो उसका बेटा तिरह+ पैदा हुआ। 25 तिरह के पैदा होने के बाद नाहोर 119 साल और जीया। उसके और भी बेटे-बेटियाँ हुए।

26 जब तिरह 70 साल का हुआ तो उसके बाद उसके बेटे अब्राम,+ नाहोर+ और हारान पैदा हुए।

27 यह है तिरह के बारे में ब्यौरा।

तिरह के बेटे थे अब्राम, नाहोर और हारान। हारान का बेटा था लूत।+ 28 हारान का जन्म कसदी लोगों+ के ऊर शहर+ में हुआ था और उसकी मौत भी वहीं पर हुई थी। हारान की मौत के वक्‍त उसका पिता तिरह ज़िंदा था। 29 अब्राम और उसके भाई नाहोर ने शादी की। अब्राम की पत्नी का नाम सारै+ था और नाहोर की पत्नी का नाम मिलका+ था जो हारान की बेटी थी। हारान की एक और बेटी थी, यिस्का। 30 सारै का कोई बच्चा नहीं था, वह बाँझ थी।+

31 बाद में तिरह ने कसदियों का ऊर शहर छोड़ दिया और वह अपने परिवार को लेकर कनान देश+ के लिए निकल पड़ा। उसके साथ उसका बेटा अब्राम, उसकी बहू सारै और उसका पोता लूत भी था+ जो हारान का बेटा था। कुछ समय बाद वे हारान नाम की जगह+ पहुँचे और वहाँ रहने लगे। 32 तिरह कुल मिलाकर 205 साल जीया और हारान में उसकी मौत हो गयी।

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