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न्यायियों का सारांश

      • बिन्यामीन के लोगों से युद्ध (1-48)

न्यायियों 20:1

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फुटनोट

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    या शायद, “ज़मींदारों।”

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फुटनोट

  • *

    शा., “एक आदमी की तरह।”

न्यायियों 20:13

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न्यायियों 20:16

फुटनोट

  • *

    शा., “अगर वे गोफन से एक बाल पर भी निशाना लगाते तो उनका निशाना खाली न जाता।”

इंडैक्स

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    पवित्र शास्त्र से जवाब जानिए, लेख 96

न्यायियों 20:17

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फुटनोट

  • *

    शा., “हाज़िर रहता।”

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फुटनोट

  • *

    शा., “शहरों।”

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न्यायि. 20:1यह 19:47, 48; न्या 18:29
न्यायि. 20:1यह 22:9
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न्यायि. 20:35न्या 20:14, 15, 46
न्यायि. 20:36न्या 20:31
न्यायि. 20:36न्या 20:29
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न्यायि. 20:39न्या 20:21, 25
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पवित्र शास्त्र का नयी दुनिया अनुवाद
न्यायियों 20:1-48

न्यायियों

20 तब दान+ से लेकर बेरशेबा तक और गिलाद के इलाके+ में रहनेवाले सभी इसराएली आए और पूरी मंडली एक होकर मिसपा में यहोवा के सामने इकट्ठा हुई।+ 2 इसराएल के सभी लोगों के और गोत्रों के प्रधानों ने परमेश्‍वर की मंडली में अपनी-अपनी जगह ली। तलवार चलानेवाले पैदल सैनिकों की गिनती 4,00,000 थी।+

3 बिन्यामीन के लोगों ने सुना कि इसराएल के आदमी मिसपा में इकट्ठा हुए हैं।

इसराएल के आदमियों ने पूछा, “हमें बता यह सब कैसे हुआ?”+ 4 तब उस लेवी+ ने, जिसकी उप-पत्नी का कत्ल हुआ था कहा, “मैं बिन्यामीन के शहर गिबा में रात काटने के लिए गया था+ और मेरी उप-पत्नी मेरे साथ थी। 5 रात को गिबा के निवासियों* ने घर को घेर लिया। वे मेरे साथ घिनौना काम करना चाहते थे, मुझे मार डालना चाहते थे। लेकिन मेरी जगह उन्होंने मेरी उप-पत्नी का बलात्कार किया और वह मर गयी।+ 6 उन्होंने बहुत शर्मनाक और घिनौना काम किया है। इसलिए मैंने अपनी उप-पत्नी की लाश के टुकड़े किए और इसराएल के हर गोत्र के इलाके में भेज दिए।+ 7 हे इसराएल के लोगो, तुम ही बताओ कि अब क्या किया जाए।”+

8 तब सब लोगों ने एकमत होकर कहा, “हममें से कोई भी अपने डेरे में नहीं जाएगा, न अपने घर लौटेगा। 9 आओ हम चिट्ठियाँ डालकर तय करें कि कौन-कौन गिबा से लड़ने जाएगा।+ 10 हमारे सैनिकों के साथ इसराएल के हर गोत्र में से कुछ और आदमी भी जाएँगे जो उनके खाने-पीने का ध्यान रखेंगे, 100 आदमियों में से 10 आदमी, 1,000 में से 100 आदमी और 10,000 में से 1,000 आदमी। बिन्यामीन गोत्र ने इसराएल में जो घिनौना काम किया है उसकी सज़ा हम उन्हें ज़रूर देंगे।” 11 इस तरह इसराएल के सभी आदमी एकमत होकर* उस शहर से लड़ने को तैयार हुए।

12 तब इसराएल के गोत्रों ने बिन्यामीन के लोगों के पास आदमी भेजे और कहा, “तुम लोगों के बीच यह कैसा घिनौना काम हुआ है! 13 गिबा के उन नीच आदमियों को हमारे हवाले कर दो।+ हम उन्हें जान से मार डालेंगे और इसराएल में से इस बुराई को मिटा देंगे।”+ लेकिन बिन्यामीन के लोगों ने अपने इसराएली भाइयों की एक न सुनी।

14 तब बिन्यामीन के लोग इसराएल के आदमियों से युद्ध करने के लिए अपने-अपने शहर से निकलकर गिबा आए। 15 उस दिन बिन्यामीन के लोगों ने अपने शहरों से 26,000 तलवार चलानेवाले आदमियों को इकट्ठा किया। गिबा से भी 700 योद्धा बुलाए गए। 16 ये 700 योद्धा बाएँ हाथवाले थे और गोफन चलाने में हरेक का निशाना अचूक था।*

17 बिन्यामीन गोत्र को छोड़, इसराएल के सभी आदमियों ने तलवार चलानेवाले 4,00,000 सैनिकों को इकट्ठा किया,+ हर सैनिक युद्ध में माहिर था। 18 वे परमेश्‍वर से सलाह लेने के लिए बेतेल गए।+ उन्होंने पूछा, “बिन्यामीन से लड़ने के लिए कौन सबसे आगे रहेगा?” यहोवा का जवाब था, “यहूदा का गोत्र।”

19 इसके बाद, इसराएलियों ने सुबह उठकर गिबा के लोगों से लड़ने के लिए छावनी डाली।

20 फिर इसराएली सैनिक निकल पड़े और बिन्यामीन के लोगों से युद्ध करने के लिए गिबा में दल बाँधकर तैनात हो गए। 21 बिन्यामीन के लोग अपने शहर गिबा से बाहर आए। उस दिन उन्होंने 22,000 इसराएली आदमियों को मार गिराया। 22 लेकिन इसराएली सैनिकों ने हिम्मत नहीं हारी। वे दोबारा उसी जगह दल बाँधकर तैनात हो गए जहाँ पहले दिन हुए थे। 23 इस बीच इसराएली यहोवा के सामने शाम तक रोते रहे। वे यहोवा से पूछने लगे, “क्या हम बिन्यामीन के अपने भाइयों से फिर युद्ध करने जाएँ?”+ यहोवा ने कहा, “जाओ।”

24 इसलिए इसराएली अगले दिन बिन्यामीन के लोगों से लड़ने आए। 25 बिन्यामीन के लोग भी लड़ने के लिए गिबा से निकले। इस बार उन्होंने तलवार चलानेवाले 18,000 इसराएली सैनिकों को मार गिराया।+ 26 तब सभी इसराएली बेतेल गए और यहोवा के सामने बैठे रोते रहे।+ उस दिन उन्होंने शाम तक उपवास किया+ और यहोवा को होम-बलियाँ+ और शांति-बलियाँ+ चढ़ायीं। 27 फिर उन्होंने यहोवा से सलाह ली।+ उन दिनों सच्चे परमेश्‍वर के करार का संदूक बेतेल में था 28 और हारून का पोता और एलिआज़र का बेटा, फिनेहास+ संदूक के सामने सेवा करता* था। इसराएलियों ने पूछा, “क्या हम बिन्यामीन के अपने भाइयों से फिर युद्ध करने जाएँ?”+ यहोवा का जवाब था, “हाँ, जाओ। क्योंकि कल मैं उन्हें तुम्हारे हाथ कर दूँगा।” 29 तब इसराएलियों ने अपने आदमियों को गिबा के चारों तरफ घात में बिठाया।+

30 इसराएली तीसरे दिन बिन्यामीन के लोगों से लड़ने निकले और पहले की तरह वे गिबा के सामने दल बाँधकर तैनात हो गए।+ 31 जब बिन्यामीन के लोग इसराएली सेना से लड़ने बाहर आए, तो वे इसराएलियों का पीछा करते हुए शहर से दूर निकल आए।+ उन्होंने पहले की तरह इसराएलियों पर हमला किया और बेतेल की तरफ और गिबा की तरफ जानेवाले राजमार्गों पर, खुले मैदानों में करीब 30 लोगों को मार गिराया।+ 32 बिन्यामीन के लोगों ने सोचा कि इसराएली सेना पहले की तरह हमसे हार रही है।+ मगर यह इसराएलियों की चाल थी। उन्होंने कहा था, “जब हम पीठ दिखाकर भागेंगे तो वे हमारा पीछा करेंगे। और हम उन्हें शहर से दूर राजमार्गों पर ले आएँगे।” 33 तब इसराएली सैनिक अपनी-अपनी जगह से उठे और उन्होंने बाल-तामार में दल बाँधा। और गिबा के पास घात लगाए कुछ सैनिकों ने अपनी जगह से निकलकर हमला बोल दिया। 34 इसराएल के 10,000 योद्धाओं ने गिबा पर चढ़ाई कर दी और घमासान युद्ध हुआ। बिन्यामीन के लोग नहीं जानते थे कि उन पर घोर विपत्ति टूटनेवाली है।

35 यहोवा ने इसराएल के सामने बिन्यामीन के लोगों को हरा दिया।+ उस दिन बिन्यामीन के 25,100 आदमी मार डाले गए, वे सब-के-सब तलवार चलानेवाले सैनिक थे।+

36 जब इसराएली बिन्यामीन के लोगों को पीठ दिखाकर भाग रहे थे, तो बिन्यामीन के लोगों को लगा कि इसराएली एक बार फिर हमसे हार जाएँगे।+ मगर इसराएली इसलिए भागे क्योंकि उन्हें पता था कि उनके कुछ सैनिक गिबा पर हमला करने के लिए घात लगाए बैठे हैं।+ 37 घात लगानेवाले सैनिकों ने तुरंत गिबा पर हमला बोल दिया। वे शहर में घुसकर चारों तरफ फैल गए और उन्होंने सभी निवासियों को तलवार से मार डाला।

38 इसराएलियों ने घात लगानेवाले सैनिकों से कहा था कि वे जैसे ही शहर पर कब्ज़ा कर लें, तो निशानी के तौर पर धुएँ का बादल उड़ाएँ।

39 जब इसराएली बिन्यामीन के लोगों के सामने से भाग रहे थे, तो बिन्यामीन के आदमियों ने उन पर हमला किया और उनके करीब 30 आदमियों को मार गिराया।+ वे कहने लगे, “वह देखो! इसराएली एक बार फिर हमसे हार रहे हैं, जैसे पिछली बार हारे थे।”+ 40 लेकिन तभी गिबा से धुएँ का खंभा ऊपर उठने लगा। जब बिन्यामीन के लोगों ने मुड़कर देखा तो पूरा शहर जल रहा था और धुआँ आसमान की तरफ उठ रहा था। 41 तभी इसराएली पलटकर हमलावरों पर टूट पड़े। बिन्यामीन के सैनिकों के हाथ-पैर फूल गए क्योंकि उन्होंने देखा कि उन पर विपत्ति आ पड़ी है। 42 इसलिए वे इसराएलियों को पीठ दिखाकर वीराने की तरफ भागने लगे। लेकिन इसराएली सैनिकों ने उनका पीछा किया और उन्हें मारने के लिए शहर* से बाकी इसराएली सैनिक भी आ गए। 43 वे चारों तरफ से बिन्यामीन के आदमियों पर बढ़े चले आए और उनका पीछा करते रहे। गिबा के पूरब में आकर उन्होंने बिन्यामीन के आदमियों को रौंद डाला। 44 बिन्यामीन के 18,000 आदमी मारे गए, वे सब-के-सब वीर योद्धा थे।+

45 बाकी बचे हुए आदमी वीराने में रिम्मोन की चट्टान की तरफ भागने लगे।+ मगर इसराएलियों ने उनमें से 5,000 आदमियों को राजमार्गों पर मार गिराया और गिदोम तक उनका पीछा करके और भी 2,000 आदमियों को मार डाला। 46 उस दिन बिन्यामीन के कुल मिलाकर 25,000 तलवार चलानेवाले वीर योद्धा मारे गए।+ 47 लेकिन 600 आदमी वीराने में रिम्मोन की चट्टान में जा छिपे और चार महीने तक वहीं रहे।

48 इसराएल के सैनिक वापस बिन्यामीन के शहरों की तरफ आए और वहाँ जितने भी लोग और जानवर रह गए थे, उन सबको मार डाला। इतना ही नहीं, उन्होंने उनके सभी शहरों को जला दिया।

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