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    पवित्र शास्त्र का नयी दुनिया अनुवाद (अध्ययन बाइबल)
    • दाविद की रचना। निर्देशक के लिए हिदायत: “नाश न होने दे” के मुताबिक। मिकताम।* यह गीत उस समय का है जब शाऊल ने अपने आदमियों को दाविद के घर पर नज़र रखने भेजा था ताकि वे उसे मार डालें।+

      59 हे मेरे परमेश्‍वर, मुझे दुश्‍मनों से छुड़ा ले,+

      हमलावरों से बचा ले।+

       2 मुझे दुष्ट काम करनेवालों से छुड़ा ले,

      खूँखार* आदमियों से बचा ले।

       3 देख! वे मेरे लिए घात लगाए बैठे हैं,+

      ताकतवर आदमी मुझ पर हमला करते हैं,

      जबकि हे यहोवा, मैंने न बगावत की है, न कोई पाप किया है।+

       4 मैंने कुछ बुरा नहीं किया, फिर भी वे मुझ पर हमला करने दौड़े चले आते हैं।

      मेरी पुकार सुनकर उठ और देख।

       5 क्योंकि हे सेनाओं के परमेश्‍वर यहोवा, तू इसराएल का परमेश्‍वर है।+

      उठकर सब राष्ट्रों पर ध्यान दे।

      गद्दारी करनेवाले दुष्टों पर ज़रा भी तरस न खा।+ (सेला )

       6 वे हर शाम लौट आते हैं,+

      कुत्तों की तरह गुर्राते* हैं,+ शिकार पकड़ने दबे पाँव सारा शहर घूमते हैं।+

       7 देख, उनका मुँह कैसी बातें उगलता है,

      उनके होंठ तलवार जैसे हैं,+

      क्योंकि वे कहते हैं, “कौन सुनता है?”+

       8 मगर हे यहोवा, तू उन पर हँसेगा,+

      सब राष्ट्रों का मज़ाक उड़ाएगा।+

       9 हे मेरी ताकत, मैं तेरी राह तकूँगा,+

      क्योंकि हे परमेश्‍वर, तू मेरा ऊँचा गढ़ है।+

      10 मुझ पर अटल प्यार ज़ाहिर करनेवाला परमेश्‍वर मेरी मदद के लिए आएगा,+

      वह मुझे अपने दुश्‍मनों की हार दिखाएगा।+

      11 उन्हें मार न डाल ताकि मेरे लोग भूल न जाएँ।

      अपनी शक्‍ति से उन्हें दर-दर भटकने पर मजबूर कर,

      हे यहोवा, हमारी ढाल, तू उन्हें गिरा दे।+

      12 वे अपने मुँह से, अपने होंठों से पाप करते हैं।

      वे अपने ही घमंड में फँस जाएँ,+

      क्योंकि वे शाप देते हैं और छल की बातें करते हैं।

      13 तू क्रोध से भरकर उनका नाश कर देना,+

      उनका नाश कर देना ताकि वे मिट जाएँ,

      उन्हें जता देना कि परमेश्‍वर याकूब पर और धरती के छोर तक राज करता है।+ (सेला )

      14 लौटने दे उन्हें शाम को,

      कुत्तों की तरह गुर्राने* दे, शिकार पकड़ने दबे पाँव सारा शहर घूमने दे।+

      15 उनका ऐसा हाल कर दे कि वे एक निवाले के लिए दर-दर भटकें,+

      उन्हें न भरपेट खाना मिले, न सिर छिपाने की जगह।

      16 मगर मैं तो तेरी ताकत का गुणगान करूँगा,+

      सुबह मैं तेरे अटल प्यार का खुशी-खुशी बखान करूँगा।

      क्योंकि तू मेरा ऊँचा गढ़ है,+

      मेरे लिए ऐसी जगह है जहाँ मैं मुसीबत की घड़ी में भागकर जा सकता हूँ।+

      17 हे मेरी ताकत, मैं तेरी तारीफ में गीत गाऊँगा,*+

      क्योंकि परमेश्‍वर मेरा ऊँचा गढ़ है, मुझसे प्यार* करनेवाला परमेश्‍वर है।+

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