29 “क्या तूने देखा है कि अहाब कैसे मेरे सामने नम्र बन गया है?+ क्योंकि वह मेरे सामने नम्र बन गया है इसलिए मैं यह संकट उसके जीते-जी नहीं लाऊँगा। मैं उसके घराने पर यह संकट उसके बेटे के दिनों में लाऊँगा।”+
6 मगर परमेश्वर जो महा-कृपा हमें देता है वह हमारी इस फितरत से कहीं महान है। इसलिए शास्त्र कहता है, “परमेश्वर घमंडियों का विरोध करता है,+ मगर नम्र लोगों पर महा-कृपा करता है।”+