50 अकाल के साल शुरू होने से पहले यूसुफ को उसकी पत्नी आसनत से, जो ओन के पुजारी पोतीफेरा की बेटी थी, दो लड़के हुए।+ 51 यूसुफ ने अपने पहलौठे का नाम मनश्शे+ रखा क्योंकि उसने कहा, “परमेश्वर की दया से मैंने अपने सारे गम और अपने पिता के घर की सभी यादें भुला दी हैं।”