3 “हे यहोवा, मैं तुझसे बिनती करता हूँ, याद कर+ कि मैं कैसे तेरा विश्वासयोग्य बना रहा और पूरे दिल से तेरे सामने सही राह पर चलता रहा।+ मैंने हमेशा वही किया जो तेरी नज़र में सही है।” यह कहकर हिजकियाह फूट-फूटकर रोने लगा।
16 तब यहोवा का डर माननेवाले एक-दूसरे से, हाँ, हर कोई अपने साथी से बात करने लगा और यहोवा ध्यान से उनकी सुनता रहा। और जो यहोवा का डर मानते हैं और उसके नाम के बारे में मनन करते हैं,*+ उन्हें याद रखने के लिए परमेश्वर के सामने एक किताब लिखी जाने लगी।+