6 तूने बलिदान और चढ़ावा नहीं चाहा,+
मगर तूने मेरे कान खोल दिए ताकि मैं सुनूँ।+
तूने न होम-बलियाँ माँगीं, न पाप-बलियाँ।+
7 तब मैंने कहा, “देख, मैं आया हूँ।
खर्रे में मेरे बारे में लिखा है।+
8 हे मेरे परमेश्वर, तेरी मरज़ी पूरी करने में ही मेरी खुशी है,+
तेरा कानून मेरे दिल की गहराई में बसा है।+