17 तुम मन-ही-मन अपने भाई से नफरत न करना।+ अगर तुम्हारे संगी-साथी ने कोई पाप किया है, तो उसे सुधारने के लिए ज़रूर फटकारना+ ताकि तुम उसके पाप में साझेदार न बनो।
6 लेकिन अगर पहरेदार यह देखकर भी कि देश पर तलवार चलनेवाली है, नरसिंगा न फूँके+ और इसलिए लोगों को कोई चेतावनी न मिले तो देश में से जो कोई तलवार से मार डाला जाएगा, वह अपने गुनाह की वजह से खुद मरेगा, मगर उसके खून का हिसाब मैं पहरेदार से माँगूँगा।’*+
17 जो तुम्हारे बीच अगुवाई करते हैं उनकी आज्ञा मानो+ और उनके अधीन रहो,+ क्योंकि वे यह जानते हुए तुम्हारी निगरानी करते हैं कि उन्हें इसका हिसाब देना होगा+ ताकि वे यह काम खुशी से करें न कि आहें भरते हुए क्योंकि इससे तुम्हारा ही नुकसान होगा।