28 मेरे दर्शन का ब्यौरा यहीं खत्म होता है। मैं दानियेल, दर्शन की बातें सोचकर बहुत घबरा गया, मेरा चेहरा पीला पड़ गया,* मगर मैंने यह बात अपने दिल में ही रखी।”
16 फिर जो आदमी जैसा दिख रहा था, उसने मेरे होंठ छुए+ और तब मैं बोलने लगा। मेरे सामने जो खड़ा था उससे मैंने कहा, “मेरे मालिक, दर्शन की वजह से मैं काँप रहा हूँ, मुझमें ज़रा भी ताकत नहीं है।+