11 फरीसी खड़ा होकर मन-ही-मन प्रार्थना करने लगा, ‘हे परमेश्वर, मैं तेरा धन्यवाद करता हूँ कि मैं दूसरों की तरह नहीं हूँ जो लुटेरे, बेईमान और व्यभिचारी हैं, न ही इस कर-वसूलनेवाले जैसा हूँ।+ 12 मैं हफ्ते में दो बार उपवास करता हूँ और मुझे जो कुछ मिलता है, उसका दसवाँ हिस्सा देता हूँ।’+