14 मगर जो कोई वह पानी पीएगा, जो मैं उसे दूँगा वह फिर कभी प्यासा नहीं होगा।+ जो पानी मैं उसे दूँगा वह उसके अंदर पानी का एक सोता बन जाएगा और हमेशा की ज़िंदगी देने के लिए उमड़ता रहेगा।”+
27 उस खाने के लिए काम मत करो जो नष्ट हो जाता है, बल्कि उस खाने के लिए काम करो जो नष्ट नहीं होता और हमेशा की ज़िंदगी देता है,+ वही खाना जो तुम्हें इंसान का बेटा देगा। क्योंकि पिता यानी परमेश्वर ने खुद उसी बेटे पर अपनी मंज़ूरी की मुहर लगायी है।”+