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  • व्यवस्थाविवरण 17
  • पवित्र शास्त्र का नयी दुनिया अनुवाद (अध्ययन बाइबल)

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व्यवस्थाविवरण का सारांश

      • बलि-पशुओं में कोई दोष न हो (1)

      • परमेश्‍वर से बगावत करनेवालों के मामले निपटाना (2-7)

      • पेचीदा मामलों का फैसला (8-13)

      • भविष्य में आनेवाले राजा के लिए हिदायतें (14-20)

        • कानून की किताब की नकल तैयार करे (18)

व्यवस्थाविवरण 17:1

संबंधित आयतें

  • +लैव 22:20; व्य 15:21; मला 1:8

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  • +मत 18:16; यूह 8:17; 1ती 5:19; इब्र 10:28
  • +गि 35:30; व्य 19:15

व्यवस्थाविवरण 17:7

संबंधित आयतें

  • +व्य 13:5; 1कुर 5:13

इंडैक्स

  • खोजबीन गाइड

    सभा पुस्तिका के लिए हवाले, 7/2021, पेज 4

    “सम्पूर्ण पवित्रशास्त्र” (मत्ती-कुलु), पेज 22-23

व्यवस्थाविवरण 17:8

संबंधित आयतें

  • +गि 35:11
  • +व्य 12:5; 1रा 3:16, 28; भज 122:2, 5

व्यवस्थाविवरण 17:9

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  • +1शम 7:15, 16
  • +व्य 19:17; 21:5

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  • +मला 2:7
  • +व्य 5:32; 12:32

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  • +नीत 11:2; इब्र 10:28
  • +व्य 13:5; 1कुर 5:13

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  • +व्य 13:11; 19:20

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  • +1शम 9:17; 10:24; 16:12, 13

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  • +व्य 20:1; 2शम 8:4; भज 20:7; नीत 21:31
  • +यश 31:1

इंडैक्स

  • खोजबीन गाइड

    सभा पुस्तिका के लिए हवाले, 3/2023, पेज 4

व्यवस्थाविवरण 17:17

संबंधित आयतें

  • +1रा 11:1-3; नहे 13:26
  • +अय 31:24, 28; 1ती 6:9

व्यवस्थाविवरण 17:18

फुटनोट

  • *

    या “खर्रे।”

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  • +व्य 31:9, 26; 2रा 22:8

इंडैक्स

  • खोजबीन गाइड

    प्रहरीदुर्ग,

    5/1/1995, पेज 12-13

व्यवस्थाविवरण 17:19

संबंधित आयतें

  • +2इत 34:18
  • +भज 1:2; 119:97

इंडैक्स

  • खोजबीन गाइड

    प्रहरीदुर्ग,

    6/15/2002, पेज 12-17

    10/1/2000, पेज 8-9

    5/1/1995, पेज 12-13

व्यवस्थाविवरण 17:20

इंडैक्स

  • खोजबीन गाइड

    प्रहरीदुर्ग,

    5/1/1995, पेज 12-13

दूसरें अनुवाद

मिलती-जुलती आयतें देखने के लिए किसी आयत पर क्लिक कीजिए।

दूसरी

व्यव. 17:1लैव 22:20; व्य 15:21; मला 1:8
व्यव. 17:2व्य 4:23; 13:6-9
व्यव. 17:3व्य 4:19
व्यव. 17:3व्य 13:12-15
व्यव. 17:4यूह 7:51
व्यव. 17:5व्य 13:6, 10
व्यव. 17:6मत 18:16; यूह 8:17; 1ती 5:19; इब्र 10:28
व्यव. 17:6गि 35:30; व्य 19:15
व्यव. 17:7व्य 13:5; 1कुर 5:13
व्यव. 17:8गि 35:11
व्यव. 17:8व्य 12:5; 1रा 3:16, 28; भज 122:2, 5
व्यव. 17:91शम 7:15, 16
व्यव. 17:9व्य 19:17; 21:5
व्यव. 17:11मला 2:7
व्यव. 17:11व्य 5:32; 12:32
व्यव. 17:12नीत 11:2; इब्र 10:28
व्यव. 17:12व्य 13:5; 1कुर 5:13
व्यव. 17:13व्य 13:11; 19:20
व्यव. 17:141शम 8:5, 20; 10:19
व्यव. 17:151शम 9:17; 10:24; 16:12, 13
व्यव. 17:16व्य 20:1; 2शम 8:4; भज 20:7; नीत 21:31
व्यव. 17:16यश 31:1
व्यव. 17:171रा 11:1-3; नहे 13:26
व्यव. 17:17अय 31:24, 28; 1ती 6:9
व्यव. 17:18व्य 31:9, 26; 2रा 22:8
व्यव. 17:192इत 34:18
व्यव. 17:19भज 1:2; 119:97
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पवित्र शास्त्र का नयी दुनिया अनुवाद (अध्ययन बाइबल)
व्यवस्थाविवरण 17:1-20

व्यवस्थाविवरण

17 तुम अपने परमेश्‍वर यहोवा को ऐसे बैल या भेड़ की बलि न चढ़ाना जिसमें किसी भी तरह का दोष हो, क्योंकि ऐसी बलि तुम्हारे परमेश्‍वर यहोवा की नज़र में घिनौनी है।+

2 तुम्हारा परमेश्‍वर यहोवा तुम्हें जो देश देनेवाला है, वहाँ के किसी शहर में मान लो तुम्हारे आदमी-औरतों में से कोई तुम्हारे परमेश्‍वर यहोवा की नज़र में बुरा काम करता है और तुम्हारे परमेश्‍वर का करार तोड़ता है+ 3 और सही राह पर चलना छोड़कर दूसरे देवताओं को पूजता है, उनके सामने दंडवत करता है या सूरज, चाँद या आसमान के तारों के आगे दंडवत करता है,+ जिसकी मैंने आज्ञा नहीं दी है।+ 4 जब तुम्हें इसकी खबर दी जाती है या तुम इस बारे में सुनते हो, तो तुम मामले की अच्छी छानबीन करना। अगर तुम पाते हो कि खबर सच है+ और इसराएल में वाकई ऐसा घिनौना काम किया गया है, 5 तो जिस आदमी या औरत ने यह दुष्ट काम किया है, उसे तुम शहर के फाटक के पास ले जाना और पत्थरों से मार डालना।+ 6 उसे दो या तीन गवाहों के बयान पर+ ही मौत की सज़ा दी जानी चाहिए। एक ही गवाह के बयान पर उसे न मार डाला जाए।+ 7 उसे पत्थरों से मार डालने के लिए सबसे पहले उनका हाथ उठे जो उसके खिलाफ गवाही देते हैं। इसके बाद बाकी लोग उसे पत्थरों से मार डालें। इस तरह तुम अपने बीच से बुराई मिटा देना।+

8 अगर कभी तुम्हारे शहर में ऐसा मामला तुम्हारे सामने पेश किया जाता है, जिसे निपटाना तुम्हें बहुत मुश्‍किल लगता है, चाहे वह कत्ल का मामला हो+ या कानूनी दावे का या मारपीट का या आपसी झगड़े का, तो तुम वह मामला उस जगह ले जाकर पेश करना जो तुम्हारा परमेश्‍वर यहोवा चुनता है।+ 9 तुम वह मामला लेवी याजकों और अपने दिनों के न्यायियों+ के सामने पेश करना और वे उस मुकदमे का फैसला सुनाएँगे।+ 10 यहोवा की चुनी हुई जगह से तुम्हें जो फैसला बताया जाता है, तुम उसी के मुताबिक कार्रवाई करना। वे तुम्हें जो भी हिदायत देते हैं, तुम उसका सख्ती से पालन करना। 11 वे तुम्हें जो कानून दिखाते हैं और जो फैसला सुनाते हैं, तुम उसी के मुताबिक कदम उठाना।+ तुम उनके फैसले से न दाएँ मुड़ना न बाएँ।+ 12 अगर एक आदमी न्यायी की बात नहीं सुनता या तुम्हारे परमेश्‍वर यहोवा की सेवा करनेवाले याजक का फैसला नहीं मानता, तो उस गुस्ताख को तुम मार डालना।+ इस तरह तुम इसराएल से बुराई मिटा देना।+ 13 तब इसराएल के सब लोग इस बारे में सुनकर डर जाएँगे और इसके बाद फिर कभी कोई ऐसी गुस्ताखी नहीं करेगा।+

14 जब तुम उस देश में दाखिल होगे जो तुम्हारा परमेश्‍वर यहोवा तुम्हें देनेवाला है और उसे अपने कब्ज़े में करके वहाँ रहने लगोगे और कहोगे, ‘चलो, हम भी आस-पास की सब जातियों की तरह अपने लिए एक राजा ठहराते हैं,’+ 15 तो तुम ऐसे आदमी को ही राजा ठहराना जिसे तुम्हारा परमेश्‍वर यहोवा चुनेगा।+ तुम अपने इसराएली भाइयों में से किसी को राजा चुनना। तुम्हें किसी परदेसी को, जो तुम्हारा इसराएली भाई नहीं है, अपना राजा बनाने की इजाज़त नहीं है। 16 और जो आदमी राजा ठहराया जाता है उसे अपने लिए बहुत सारे घोड़े नहीं हासिल करने चाहिए,+ न ही ज़्यादा घोड़े लाने के लिए अपने लोगों को मिस्र भेजना चाहिए+ क्योंकि यहोवा ने तुम लोगों से कहा है, ‘तुम कभी मिस्र वापस मत जाना।’ 17 और एक राजा को बहुत-सी शादियाँ भी नहीं करनी चाहिए ताकि उसका मन सही राह से भटक न जाए।+ और उसे अपने लिए ढेर सारा सोना-चाँदी नहीं जमा करना चाहिए।+ 18 जब वह राजगद्दी पर बैठकर राज करना शुरू करेगा, तो उसे चाहिए कि वह लेवी याजकों के पास रखी कानून की किताब ले और उसमें लिखी सारी बातें हू-ब-हू अपने लिए एक किताब* में लिख ले।+

19 उसे अपनी यह किताब अपने पास रखनी चाहिए और सारी ज़िंदगी, हर दिन उसे पढ़ना चाहिए+ ताकि वह अपने परमेश्‍वर यहोवा का डर मानना सीखे और उसमें दिए सभी नियमों का पालन करे और कायदे-कानूनों के मुताबिक चले।+ 20 तब उसका मन घमंड से नहीं फूलेगा और वह खुद को अपने भाइयों से बड़ा नहीं समझेगा। वह परमेश्‍वर की आज्ञाओं से न दाएँ मुड़ेगा न बाएँ और इसराएल पर उसका और उसके वंशजों का राज अरसों तक बना रहेगा।

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