पवित्र शास्त्र का नयी दुनिया अनुवाद याकूब का सारांश याकूब सारांश 1 नमस्कार (1) धीरज धरने से खुशी मिलती है (2-15) परखा हुआ विश्वास (3) विश्वास के साथ माँगते रहो (5-8) इच्छाएँ पाप और मौत की तरफ ले जाती हैं (14, 15) हर अच्छा तोहफा ऊपर से मिलता है (16-18) वचन को सुनना; उस पर चलना (19-25) आईने में चेहरा देखनेवाला (23, 24) शुद्ध और निष्कलंक उपासना (26, 27) 2 भेदभाव करना पाप है (1-13) प्यार एक शाही नियम है (8) कामों के बिना विश्वास मरा हुआ है (14-26) दुष्ट स्वर्गदूत मानते और थर-थर काँपते हैं (19) अब्राहम यहोवा का दोस्त कहलाया (23) 3 जीभ को काबू में करना (1-12) बहुत लोग शिक्षक न बनें (1) स्वर्ग से मिलनेवाली बुद्धि (13-18) 4 दुनिया से दोस्ती मत करो (1-12) शैतान का विरोध करो (7) परमेश्वर के करीब आओ (8) घमंड से खबरदार (13-17) “अगर यहोवा की मरज़ी हो” (15) 5 अमीरों को चेतावनी (1-6) सब्र रखने और धीरज धरने से परमेश्वर की आशीष मिलती है (7-11) तुम्हारी ‘हाँ’ का मतलब हाँ हो (12) विश्वास से की गयी प्रार्थना असर करती है (13-18) पापी को लौटने में मदद देना (19, 20)