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यहोशू ने दो जासूस यरीहो भेजे (1-3)
राहाब ने जासूसों को छिपाया (4-7)
राहाब से किया वादा (8-21क)
जासूस, यहोशू के पास लौट आए (21ख-24)
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ऐ में इसराएल की हार (1-5)
यहोशू की प्रार्थना (6-9)
पाप की वजह से हार हुई (10-15)
आकान का परदाफाश; मार डाला गया (16-26)
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होशियार गिबोनियों ने शांति चाही (1-15)
उनकी चाल का परदाफाश (16-21)
वे लकड़ियाँ बीनेंगे और पानी भरेंगे (22-27)
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इसराएल ने गिबोन की रक्षा की (1-7)
यहोवा इसराएल की तरफ से लड़ा (8-15)
हमला करनेवाले पाँच राजा मारे गए (16-28)
दक्षिणी शहरों पर कब्ज़ा (29-43)
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देश पर कब्ज़ा करना अब भी बाकी (1-7)
यरदन के पूर्वी इलाके का बँटवारा (8-14)
रूबेन की विरासत (15-23)
गाद की विरासत (24-28)
पूरब में मनश्शे की विरासत (29-32)
यहोवा लेवियों की विरासत (33)
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पूरब से आए गोत्र घर लौटे (1-8)
यरदन के पास वेदी बनी (9-12)
वेदी का मकसद समझाया गया (13-29)
झगड़ा निपटाया गया (30-34)
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यहोशू ने इसराएल का इतिहास दोहराया (1-13)
यहोवा की सेवा करने का बढ़ावा दिया (14-24)
इसराएल के साथ यहोशू का करार (25-28)
यहोशू की मौत और उसे दफनाना (29-31)
यूसुफ की हड्डियाँ शेकेम में दफनायीं (32)
एलिआज़र की मौत और उसे दफनाना (33)