1
नमस्कार (1, 2)
स्वर्ग में हर तरह की आशीष (3-7)
मसीह में सबकुछ इकट्ठा करना (8-14)
इफिसियों के विश्वास के लिए पौलुस प्रार्थना में धन्यवाद देता है (15-23)
2
3
4
5
साफ-सुथरी बातचीत और चालचलन (1-5)
रौशनी की संतानों की तरह चलो (6-14)
पवित्र शक्ति से भरपूर होते जाओ (15-20)
पति-पत्नी के लिए सलाह (21-33)
6
बच्चों और माँ-बाप के लिए सलाह (1-4)
दास और मालिक के लिए सलाह (5-9)
परमेश्वर के दिए सारे हथियार (10-20)
आखिर में नमस्कार (21-24)