1
नमस्कार (1, 2)
पौलुस, तीमुथियुस के विश्वास के लिए परमेश्वर का एहसानमंद (3-5)
परमेश्वर के वरदान को ज्वाला की तरह जलाए रख (6-11)
खरी शिक्षाओं को थामे रह (12-14)
पौलुस के दुश्मन और दोस्त (15-18)
2
योग्य आदमियों को संदेश सौंप (1-7)
खुशखबरी की खातिर दुख सह (8-13)
परमेश्वर का वचन सही तरह इस्तेमाल कर (14-19)
जवानी में उठनेवाली इच्छाओं से दूर भाग (20-22)
विरोधियों के साथ कैसे पेश आएँ (23-26)
3
आखिरी दिनों में संकटों से भरा वक्त (1-7)
पौलुस की मिसाल पर नज़दीकी से चल (8-13)
‘जो बातें तूने सीखी हैं उन्हें मानता रह’ (14-17)
4
“अपनी सेवा अच्छी तरह पूरी कर” (1-5)
“मैंने अच्छी लड़ाई लड़ी है” (6-8)
पौलुस की अपनी कुछ बातें (9-18)
आखिर में नमस्कार (19-22)