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शरण नगर

लेवियों को दिए शहर जहाँ अनजाने में खून करनेवाला भागकर पनाह ले सकता था। इस तरह वह खून का बदला लेनेवाले से बच सकता था। वादा किए गए देश में अलग-अलग जगहों पर 6 शरण नगर थे, जिन्हें यहोवा के निर्देशन में पहले मूसा ने और बाद में यहोशू ने चुना था। जब वह आदमी नगर के फाटक पर पहुँचता, तो वह मुखियाओं को अपना मामला बताता और उसे नगर में ले लिया जाता। फिर उस शहर में उसका मुकदमा चलता जिस शहर में खून हुआ था ताकि वह खुद को निर्दोष साबित कर सके। यह मुकदमा इसलिए भी ज़रूरी था ताकि जानबूझकर खून करनेवाले इस इंतज़ाम का नाजायज़ फायदा न उठा सकें। अगर वह निर्दोष साबित होता तो उसे वापस शरण नगर भेज दिया जाता। वहाँ उसे या तो ज़िंदगी-भर रहना पड़ता या तब तक जब तक कि महायाजक की मौत नहीं हो जाती।​—गि 35:6, 11-15, 22-29; यह 20:2-8.

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