क्या परमेश्वर परवाह करता है?
उसने दुःख को अनुमति क्यों दी है?
क्या कभी इसका अन्त होगा?
क्या ये जिज्ञासा उत्पन्न करने वाले प्रश्न नहीं हैं? यही प्रश्न यहोवा के गवाहों द्वारा प्रकाशित एक ब्रोशर के मुखपृष्ठ पर दिए गए हैं। क्या आपने उसे पढ़ा है? पहले से ही इसने कई लोगों को सांत्वना और आशा दी है। इस ब्रोशर के बारे में एक स्त्री फ़िलेडेल्फ़िया, पेन्सिलवेनिया, यू.एस.ए. से लिखती है:
“मैं नहीं जानती थी कि शब्दों को इतने सुंदर और हृदय-स्पर्शी रूप से इकट्ठा किया जा सकता था। यह मानो ऐसा है कि मैं एक अँधेरे कमरे में थी और अचानक किसी ने रोशनी कर दी हो; मुझे एहसास हुआ: ‘परमेश्वर परवाह करता है!’
“मेरी प्रवृत्ति हमेशा वैज्ञानिक बातों की ओर रही है। इसलिए, यदि मैं कभी निरुत्साहित होती, तो वैज्ञानिक दृष्टिकोण के भाषण, लेख, या फिल्में मुझे स्फूर्ति देती थीं। तथापि इस ब्रोशर ने न सिर्फ़ मुझे स्फूर्ति दी लेकिन इसने मुझे एक कोमल, प्रेममय तरीक़े से छूआ भी है।
“सबसे पहले इसका मुखपृष्ठ आपके ध्यान को खींचता है। यह प्रभावपूर्ण है क्योंकि वे वास्तविक लोग हैं। हरेक का चेहरा, काले बड़े अक्षरों में छपे सवाल के प्रति चिन्ता प्रतिबिम्बित करता है, ‘क्या परमेश्वर वास्तव में हमारी परवाह करता है?’ इन दिनों सभी लोग कैसे महसूस करते हैं यह इनके मुख के भाव प्रतिबिम्बित करते हैं।
“विषय बहुत ही आसानी से समझ में आता है। यह सरल है, उपयुक्त है, और यह अर्थपूर्ण है। यह तर्कयुक्त है। यह इतना मनभाऊ और पढ़ने में इतना आसान है कि एक बार आपने इसे पढ़ना शुरू किया, तो आप इसे नीचे नहीं रख सकते।”
यदि आप अधिक जानकारी चाहते हैं, तो कृपया, Watchtower, H-58, Old Khandala Road, Lonavla 410 401. Mah., को या पृष्ठ ५ पर सूचीबद्ध उपयुक्त पते पर लिखिए।
[पेज 32 पर तसवीर]
क्या परमेश्वर वास्तव में हमारी परवाह करता है?
यदि हाँ, तो उसने दुःख को अनुमति क्यों दी है?
क्या कभी इसका अन्त होगा?