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  • सजग होइए!–1997
सजग होइए!–1997
g97 1/8 पेज 32

“उसने इसे अख़बार में छापा”

यही है जो कनाडा से एक क़दर करनेवाली लड़की ने वॉच टावर संस्था को धन्यवाद के पत्र में लिखा। उसने स्कूल में जन भाषण प्रतियोगिता में भाग लिया था, और उस खंडपीठ में से एक निर्णायक को उसकी प्रस्तुति इतनी पसन्द आयी कि उसने इसे एक स्थानीय अख़बार में छापने की इजाज़त माँगी।

उस लड़की ने अपना विषय कैसे चुना? “मेरे वर्ग को, ख़ासकर लड़कियों को गपशप को लेकर एक समस्या थी,” उसने समझाया। सो उसने अपनी प्रस्तुति को सजग होइए! में जो उसने पढ़ा था उस जानकारी पर आधारित किया। उसके भाषण के कुछ भाग नायगारा फ़ॉल्स, ओन्टारियो के एक स्थानीय अख़बार, द रिव्यू (अंग्रेज़ी) में “गपशप हानिकर हो सकती है; आपको कैसा लगेगा?” शीर्षक के नीचे प्रकाशित किया गया।

किस बात ने खंडपीठ के उस निर्णायक को इतना प्रभावित किया? उस लड़की के भाषण के कुछ उद्धरणों पर ध्यान दीजिए: “समाज में आज गपशप बहुत ही आम बात है। इसके कारण काफ़ी सिरदर्द हो सकता है, रात को नींद नहीं आ सकती और सबसे ज़्यादा भावनाओं को ठेस पहुँच सकती हैं। . . .

“गपशप को बन्द करना तो नामुमकिन है क्योंकि बात करना तो मनुष्य का स्वभाव ही है। हाँ, एक बात हम कर सकते हैं कि उसे क़ाबू में रखें। इसे करने के लिए कुछ सुझाव हैं: १. आग में तेल मत डालिए। २. गपशप मत सुनिए। . . . गपशप को सुनने के द्वारा, ऐसा लगेगा कि जो कहा जा रहा है उससे मानो आप सहमत हैं। ३. नुक़सानदेह गपशप आपको एक झूठा भी बना सकती है। ४. सबसे महत्त्वपूर्ण सलाह यह है कि बात करने से पहले सोचिए! अपने आपसे पूछिए ‘अगर यही मेरे बारे में कहा जाता तो मुझे कैसा लगता?’”

“इन चारों क़दमों का प्रयोग कीजिए,” उस लड़की ने निष्कर्ष निकाला, “और अधिक सम्भव है कि आप एक बेहतर इन्सान बन जाएँगे।”

केवल स्कूल के युवाओं के लिए ही नहीं, बल्कि सभी के लिए क्या ही व्यावहारिक सलाह! सजग होइए! विषयों की व्यापक विविधता पर समयोचित और सामयिक जानकारी प्रदान करने की कोशिश करती है। अगर आप इस पत्रिका को नियमित रूप से प्राप्त करना चाहेंगे, तो जब अगली बार यहोवा के साक्षी भेंट करें तब उनसे पूछिए, या पृष्ठ ५ में सूचिबद्ध उपयुक्‍त पते पर लिखिए।

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