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  • उन्होंने उसे नाम दिया मनोरंजन

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  • उन्होंने उसे नाम दिया मनोरंजन
  • सजग होइए!–1997
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सजग होइए!–1997
g97 6/8 पेज 3-4

उन्होंने उसे नाम दिया मनोरंजन

रंगभूमि में रोमांच की तरंग दौड़ रही थी। हज़ारों लोग प्राचीन रोम के एक अति रोमांचक दृश्‍य के लिए जमा हुए थे। झंडों, गुलाबों, और रंगबिरंगे परदों से अखाड़ा सुंदर रीति से सजा हुआ था। झरनों से सुगंधित पानी की फुहार हवा में भीनी-भीनी मिठास भर रही थी। धनवान्‌ अपने महँगे-से-महँगे कपड़ों में थे। भीड़ की चहचहाहट के बीच-बीच में हंसी के ठहाके लगते थे, लेकिन अब जो बीभत्सता होनेवाली थी उसे इस भीड़ की चंचलता झुठला रही थी।

जल्द ही तुरही की अमंगल ध्वनि ने दो मल्ल योद्धाओं को मैदान में उतरने का आह्वान दिया। भीड़ पागल-सी हो उठी जब वे प्रतिद्वंद्वी एक दूसरे पर निर्दय बर्बरता से वार करने लगे। दर्शकों के तेज़ शोर-शराबे में तलवारों का बजना भी ठीक-से सुनायी नहीं पड़ रहा था। अचानक, एक अतिकुशल युक्‍ति का प्रयोग कर, एक योद्धा ने अपने विरोधी को पटक दिया। पटके गए मल्ल योद्धा का भाग्य अब दर्शकों के हाथ में था। यदि वे अपने रूमाल हिलाते तो वह जीवित छोड़ा जाता। अपने अंगूठे के एक इशारे से, उस जमाव ने—जिसमें स्त्रियाँ और लड़कियाँ सम्मिलित थीं—मृत्यु वार का आदेश दिया। देखते-ही-देखते उसकी निर्जीव देह को अखाड़े से घसीटकर ले जाया गया, रक्‍तरंजित मिट्टी को बेलचों से खोदा गया, ताज़ी रेत बिखेरी गयी, और भीड़ ने बाक़ी के रक्‍तस्नान के लिए अपने आपको तैयार किया।

प्राचीन रोम में रहनेवाले अनेक लोगों के लिए वह मनोरंजन था। “रक्‍तपात में इस आनंद के प्रति कट्टर से कट्टर नीतिवादी ने भी कोई आपत्ति नहीं उठायी,” पुस्तक रोम: पहले हज़ार साल (अंग्रेज़ी) कहती है। और मल्ल युद्ध रोम में पेश पतित मनोरंजन का बस एक रूप था। सचमुच के नौसेना युद्ध भी रक्‍तपिपासु दर्शकों के मनोरंजन के लिए प्रस्तुत किए जाते थे। सरे आम मृत्युदंड देने की भी रीत थी, जिसमें दंडित अपराधी को एक काठ से बाँधा जाता और भूखे जंगली जानवर उसे फाड़ खाते।

जिनको इतना रक्‍तपात पसंद नहीं था, उनके लिए रोम तरह-तरह के मंच नाटक प्रस्तुत करता था। दैनिक जीवन के बारे में छोटे नाटकों—स्वाँग-नाट्य—में “परस्त्रीगमन और प्रेम प्रसंग मुख्य विषय होते थे,” लूटविक फ्रीडलॆन्डर ने आरंभिक साम्राज्य के अधीन रोमी जीवन और रीतियाँ (अंग्रेज़ी) में लिखा। “भाषा में अश्‍लीलता भरी होती थी, और हास्य घटिया, जिसमें बेढंगी भाव-भंगिमाओं की बहुतायत, और सबसे बढ़कर, बाँसुरी की धुन पर भद्दे नृत्य होते थे।” द न्यू एनसाइक्लोपीडिया ब्रिटानिका के अनुसार, “इसका प्रमाण है कि रोमी साम्राज्य के दौरान स्वाँग-नाट्य मंच पर असल में व्यभिचार के काम किए जाते थे।” सकारण फ्रीडलॆन्डर ने स्वाँग-नाट्य को “अनैतिकता और अश्‍लीलता में अति वास्तविक रूप से घृणित हास्य-नाटिका” कहा, और उसने आगे कहा: “सबसे कामुक दृश्‍यों पर सबसे ज़्यादा तालियाँ बजती थीं।”a

आज के बारे में क्या? मनोरंजन के बारे में क्या मनुष्य की पसंद बदल गयी है? अगले लेख में बताए गए प्रमाण पर विचार कीजिए।

[फुटनोट]

a कभी-कभी, एक नाटकीय प्रस्तुति में जान डालने के लिए मंच पर फाँसी दी जाती थी। पुस्तक रोम की सभ्यता (अंग्रेज़ी) कहती है: “किसी मृत्युदंड-प्राप्त अपराधी के लिए निर्वहण के क्षण में अभिनेता की जगह लेना असामान्य नहीं था।”

[पेज 3 पर चित्र का श्रेय]

The Complete Encyclopedia of Illustration/J. G. Heck

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