वॉचटावर ऑनलाइन लाइब्रेरी
वॉचटावर
ऑनलाइन लाइब्रेरी
हिंदी
  • बाइबल
  • प्रकाशन
  • सभाएँ
  • g98 2/8 पेज 3
  • आज़ादी देने का दर्द

इस भाग के लिए कोई वीडियो नहीं है।

माफ कीजिए, वीडियो डाउनलोड नहीं हो पा रहा है।

  • आज़ादी देने का दर्द
  • सजग होइए!–1998
  • मिलते-जुलते लेख
  • खाली बसेरे में ख़ुशी से रहना
    सजग होइए!–1998
  • माता-पिताओ—अपने बच्चों के लिए एक बढ़िया आदर्श बनिए
    प्रहरीदुर्ग यहोवा के राज्य की घोषणा करता है—2006
  • माता-पिताओ—अपने बच्चों को प्यार से तालीम दीजिए
    प्रहरीदुर्ग यहोवा के राज्य की घोषणा करता है—2007
  • आज़ादी देना सीखना
    सजग होइए!–1998
और देखिए
सजग होइए!–1998
g98 2/8 पेज 3

आज़ादी देने का दर्द

“जिस दिन हमारा पहला बच्चा पैदा हुआ था उसी दिन मेरे पति ने मुझे आगाह कर दिया था—‘रानी, बच्चों को पालना उन्हें आज़ादी देने का एक लंबा सिलसिला है।’—हम और हमारे बच्चे—माता-पिता द्वारा और उन्हीं के लिए एक पुस्तक।

पहला बच्चा पैदा होने पर अधिकतर माता-पिता ख़ुश होते हैं—यहाँ तक कि ख़ुशी से फूले नहीं समाते। इतनी सारी असुविधाओं, परेशानियों, पीड़ाओं, कुंठाओं, और चिंताओं के बावजूद जो माता-पिता बनने के साथ आती हैं, बच्चे बड़े आनंद का स्रोत हो सकते हैं। लगभग तीन हज़ार साल पहले, बाइबल ने कहा: “बच्चे प्रभु की ओर से दान हैं; वे सच्ची आशीष हैं।”—भजन १२७:३, टुडेज़ इंग्लिश वर्शन।

लेकिन, बाइबल यह गंभीर पूर्वसूचना भी देती है: “पुरुष अपने माता पिता को छोड़” देगा। (उत्पत्ति २:२४) विभिन्‍न कारणों से, सयाने बच्चे आम तौर पर घर छोड़ जाते हैं—शिक्षा लेने या नौकरी करने के लिए, अपनी मसीही सेवकाई बढ़ाने के लिए, विवाह करने के लिए। लेकिन कुछ माता-पिताओं के लिए, यह सच्चाई बहुत दर्दनाक होती है। जब उनके बच्चे आज़ादी पाने की कोशिश करते हैं तब वे अपने आपको—जैसे एक लेखिका ने कहा—“अपमानित, क्रोधित, लज्जित, भयभीत या अस्वीकृत समझते हैं।” अकसर इसके कारण परिवार में रात-दिन की हाय-हाय किच-किच होती है। उस दिन का सामना करने से इनकार करते हुए, जब बच्चे बसेरा छोड़ जाएँगे, कुछ माता-पिता अपने बच्चों को सयानेपन के लिए तैयार करने से चूक जाते हैं। ऐसी लापरवाही का अंजाम भयानक हो सकता है: वे ऐसे वयस्क बन सकते हैं जो घर चलाने, परिवार की देखरेख करने, या नौकरी बनाए रखने तक के लिए ठीक-से तैयार न हों।

बिछड़ने का दर्द एक-जनक परिवारों में कुछ ज़्यादा ही हो सकता है। कैरन नाम की एकल माँ कहती है: “मैं अपनी बेटी के बहुत क़रीब हूँ; हम पक्की सहेलियाँ बन गयी हैं। मैं जहाँ भी जाती, उसे लेकर जाती थी।” एक-जनक घरानों में जनक और बच्चे के बीच घनिष्ठ संबंध होना आम बात है। स्वाभाविक है कि ऐसी घनिष्ठता को खोने का विचार झकझोर सकता है।

लेकिन, पुस्तक सुखी परिवार के लक्षण (अंग्रेज़ी) माता-पिताओं को याद दिलाती है: “यही तो है पारिवारिक जीवन: एक मासूम बच्चे को पाल पोसकर सयाना बनाना जो ख़ुद का मालिक है।” फिर वह आगाह करती है: “परिवारों में अनेक समस्याएँ इसलिए उठती हैं कि माता-पिता आज़ादी देने से झिझकते हैं।”

आपके बारे में क्या? क्या आप माता या पिता हैं? यदि हैं, तो क्या आप उस दिन के लिए तैयार हैं जब आपको अपने बच्चों को जाने देना पड़ेगा? और आपके बच्चों के बारे में क्या? क्या आप उन्हें अपना ख़ुद का जीवन जीने के लिए लायक़ बना रहे हैं?

    हिंदी साहित्य (1972-2025)
    लॉग-आउट
    लॉग-इन
    • हिंदी
    • दूसरों को भेजें
    • पसंदीदा सेटिंग्स
    • Copyright © 2025 Watch Tower Bible and Tract Society of Pennsylvania
    • इस्तेमाल की शर्तें
    • गोपनीयता नीति
    • गोपनीयता सेटिंग्स
    • JW.ORG
    • लॉग-इन
    दूसरों को भेजें