हृदय शल्य-चिकित्सक—सजग होइए! को बधाई देता है
जनवरी ८, १९९७ की सजग होइए! ने “दिल का दौरा—क्या किया जा सकता है?” शीर्षकवाली लेख-श्रृंखला प्रस्तुत की। प्रोफॆसर टोमास स्टेगमान जर्मनी के बड़े हार्ट-ट्रांसप्लांट डॉक्टरों में से है और वक्ष एवं हृदय-रक्तवाहिका विभाग का प्रमुख है। उसने इन लेखों को पढ़ा और प्रकाशकों को इस प्रकार लिखा:
“दिल की बीमारी और खासकर दिल के दौरों के बारे में आपकी रिपोर्ट को मैंने दिलचस्पी के साथ पढ़ा। इस क्षेत्र में विशेषज्ञ होने के नाते, मैं आपको यह बताने के लिए प्रेरित हुआ हूँ कि दिल के दौरों के बारे में आपकी व्याख्या और इस विषय पर आपकी जानकारी बहुत अच्छी है—एक ओर तो दिल की बीमारी के मरीज़ के लिए हमदर्दी दिखाती है और दूसरी ओर चिकित्सा तथ्यों का सही-सही वर्णन करती है। आपकी व्याख्या अच्छी चौतरफी समझ और सही जानकारी देती है। आपने दिल के दौरे के लक्षणों को शुरू में ही पहचानने पर जो खास महत्त्व दिया है वह भी ज़रूरी था।
“चिकित्सा विज्ञान और आम तौर पर समाज के कड़े प्रयास के बावजूद, धमनी-काठिन्य (आर्टिरीओस्क्लरोसस)—और खास तौर पर दिल का दौरा—पश्चिमी देशों में मृत्यु का सबसे आम कारण है। हृदय शल्य-चिकित्सक होने के नाते, मैं हर दिन हृदय धमनी-काठिन्य में हुए गंभीर बदलावों (कठोरता, संकुचन, वाहिनी रोध) से निपटता हूँ और इन बीमारियों का इलाज हृदय शल्य-चिकित्सा की विभिन्न तकनीकों द्वारा करता हूँ। इसलिए मैं जानता हूँ कि जनता के लिए—और संभावित मरीज़ के लिए भी—ठोस और सही व्याख्या कितनी महत्त्वपूर्ण है।
“इस विषय पर आपकी प्रस्तुति के लिए मेरी हार्दिक बधाई स्वीकार कीजिए। मैं यह आशा भी रखता हूँ कि आपका लेख ज़्यादा-से-ज़्यादा लोगों को उपलब्ध कराया जाए।”
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