“क्या कभी सभी लोग एक दूसरे से प्रेम करेंगे?”
वर्ष १९९७ के अक्तूबर और नवंबर महीनों के दौरान, “क्या कभी सभी लोग एक दूसरे से प्रेम करेंगे?” शीर्षकवाले चार पन्नों के परचे की ३० करोड़ से ज़्यादा प्रतियाँ दुनिया भर में १०० से अधिक भाषाओं में बाँटी गयीं। उसके बारे में कई अच्छी टिप्पणियाँ की गयीं। उनमें निम्नलिखित समीक्षा भी थी जो अमरीका में ईस्टन, पॆन्सिलवेनिया के ऎक्सप्रॆस-टाइम्स में की गयी:
“यह ऐसे पड़ोसियों के उदाहरणों को विशिष्ट करता है जो एक दूसरे के प्रति भावशून्य हो गये हैं—यहाँ तक कि एक दूसरे को लूट रहे हैं, जैसे कि बॉस्नीया-हट्र्सगोवीना और रूवाण्डा में, जहाँ अलग-अलग नृजातीय और धार्मिक समूहों के पुराने पड़ोसियों ने एक दूसरे की हत्या की।
“अमरीका के बारे में इसने बताया कि बुज़ुर्ग अकेले रह रहे हैं और कोई उनसे मिलने नहीं आता। एक असरदार तसवीर है जिसमें ज़ंजीर लगे दरवाज़े की दरार से झाँकते हुए एक भयभीत स्त्री का चेहरा दिखाया गया है।”
स्लोवीनिया में यहोवा के साक्षियों के शाखा दफ्तर को द फिलोसॉफिकल लिटरॆचर क्लब इमप्रॆसयॆ से यह निवेदन प्राप्त हुआ: “जहाँ तक धार्मिक सत्य की व्याख्या की बात है, दुःख के साथ कहना पड़ता है कि स्लोवीनिया में रोमन कैथोलिक चर्च का एकाधिकार है। इन धार्मिक सच्चाइयों को ज़्यादा अच्छी तरह समझने के लिए हम सविनय निवेदन करते हैं कि आप हमें “क्या कभी सभी लोग एक दूसरे से प्रेम करेंगे?” शीर्षकवाले ट्रैक्ट की ५० प्रतियाँ भेजें। न सिर्फ इसकी विषय-वस्तु बल्कि इसका चित्र प्रभाव भी हमें अनोखा लगा।”
यदि आप भी इसका प्रमाण पाना चाहते हैं कि दुनिया भर के लोग शांति और एकता में रह सकते हैं तो कृपया संलग्न कूपन को भरकर भेज दीजिए।
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