क्या परमेश्वर अस्तित्त्व में है?—कुछ वैज्ञानिक उत्तर देते हैं
मॆसाचुसॆट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टॆक्नॉलजी में भौतिकी के प्रोफॆसर उल्रिख जे. बॆकर ने परमेश्वर के अस्तित्त्व पर यह टिप्पणी की: “सृष्टिकर्ता नहीं है तो मैं अस्तित्त्व में कैसे आया? जहाँ तक मैं जानता हूँ इस प्रश्न का ठोस उत्तर किसी ने कभी नहीं दिया।”
क्या उसकी यह टिप्पणी उसके वैज्ञानिक विचारों से टकराती है? इस प्रोफॆसर का विचार-प्रेरक उत्तर था, “यदि आपको पता चल जाए कि ‘घड़ी’ में एक चक्का कैसे घूमता है—तो आप शायद अनुमान लगा लें कि दूसरे चक्के कैसे घूमते हैं, लेकिन आप इस अनुमान को वैज्ञानिक नहीं कह सकते और इस प्रश्न को तो छोड़ ही दीजिए कि घड़ी में चाबी किसने भरी।”
जैसा कुछ लोगों का विचार है उसके विपरीत, असल में अनेक मान्य वैज्ञानिक इस धारणा को नहीं नकारते कि एक परमेश्वर है जो इस विश्वमंडल और मनुष्य का बनानेवाला है।
इस मुद्दे पर दो और उदाहरण देखिए। जब प्रिंसटन यूनिवर्सिटी में गणित के प्रोफॆसर जॉन ई. फॉरनॆस से पूछा गया कि परमेश्वर के अस्तित्त्व के बारे में वह क्या सोचता है तो उसने उत्तर दिया: “मैं मानता हूँ कि एक परमेश्वर है और मैं यह भी मानता हूँ कि उसी ने विश्वमंडल को बनाया है, चाहे वे छोटे-छोटे कण हों, जीवित प्राणी हों, चाहे बड़ी-बड़ी आकाशगंगाएँ हों।”
येल यूनिवर्सिटी में भौतिकी के प्रोफॆसर हॆन्री मॉरजिनाउ ने कहा कि उसे पूरा यकीन है कि परमेश्वर ने ही प्रकृति के नियम बनाये हैं। उसने आगे कहा: “परमेश्वर ने शून्य से विश्वमंडल को बनाया और तभी से समय भी शुरू हुआ।” फिर उसने कहा कि पुस्तक जीवन के उद्गम का रहस्य (अंग्रेज़ी) में तीन वैज्ञानिक बताते हैं कि जीवन की शुरूआत कैसे हुई इसका एक ही सही जवाब नज़र आता है, वह यह है कि सृष्टिकर्ता ने इसे शुरू किया। इस विचार का समर्थन करते हुए खगोल-विज्ञानी फ्रॆड हॉइल ने कहा कि यह मानना कि पहली कोशिका संयोग से आ गयी यह मानने के बराबर है कि एक कबाड़खाने में जहाँ हवाई जहाज़ के पुरज़े अलग-अलग और इधर-उधर पड़े हुए हैं, एक बड़ा तूफान आता है और फिर एक हवाई जहाज़ अपने आप बनकर तैयार हो जाता है।
इन उत्तरों के साथ बाइबल लेखक पौलुस के शब्द भी जोड़े जा सकते हैं: “[परमेश्वर के] अनदेखे गुण, अर्थात् उस की सनातन सामर्थ, और परमेश्वरत्व जगत की सृष्टि के समय से उसके कामों के द्वारा देखने में आते हैं।”—रोमियों १:२०.
जी हाँ, परमेश्वर सचमुच अस्तित्त्व में है! लेकिन उसने किस कारण आज दुनिया को इस दयनीय दशा में रहने दिया है? पृथ्वी के लिए उसका क्या उद्देश्य है? क्या हम ठीक-ठीक जान सकते हैं कि सच्चा परमेश्वर कौन है?
[पेज 3 पर बड़े अक्षरों में लेख की खास बात]
“यदि आपको पता चल जाए कि ‘घड़ी’ में एक चक्का कैसे घूमता है—तो आप शायद अनुमान लगा लें कि दूसरे चक्के कैसे घूमते हैं, लेकिन आप . . . इस प्रश्न को तो छोड़ ही दीजिए कि घड़ी में चाबी किसने भरी”