सभी के लिए अच्छी सेहत—एक मुमकिन लक्ष्य?
क्या आप अपनी और अपने परिवार की तंदुरुस्ती चाहते हैं? बेशक, आप चाहते होंगे। हम में से ज़्यादातर लोग कभी-कभार ही बीमार पड़ते हैं, मगर दुनिया में ऐसे लाखों लोग हैं जिनका बीमारी और दर्द से ज़िंदगी-भर का नाता जुड़ गया है।
फिर भी बढ़ती हुई बीमारियों को रोकने के लिए पूरी दुनिया में कोशिशें की जा रही हैं। संयुक्त राष्ट्र के विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) पर गौर करें। सन् 1978 में इस संगठन ने एक सम्मेलन आयोजित किया जिसमें 134 देशों के और संयुक्त राष्ट्र के 67 संगठनों के प्रतिनिधि हाज़िर थे। वे सभी इस बात पर एकमत थे कि सिर्फ बीमारी से छुटकारा पाने को ही अच्छी सेहत नहीं कहा जा सकता। उन्होंने कहा कि इंसान को सही मायने में सेहतमंद तभी कहा जा सकता है जब वह “शारीरिक, मानसिक और सामाजिक तौर पर पूरी तरह से अच्छी स्थिति में हो।” फिर वहाँ मौजूद प्रतिनिधियों ने स्वास्थ्य को “हर इंसान का बुनियादी अधिकार” करार देकर एक बड़ा कदम उठाया। इस तरह विश्व स्वास्थ्य संगठन ने “दुनिया के सभी लोगों के लिए अच्छी सेहत लाने” का लक्ष्य रखा है।
यह लक्ष्य हर किसी को भाता है और इस तरह का नेक इरादा रखना वाकई काबिले-तारीफ भी है। मगर सवाल यह उठता है कि क्या इस लक्ष्य को हासिल करना कभी मुमकिन होगा? इंसान के सभी कार्य-क्षेत्रों में से चिकित्सा एक ऐसा क्षेत्र है जिस पर लोगों का विश्वास बढ़ा है और जिसकी सराहना की गयी है। ब्रिटेन के अखबार, दी यूरोपियन ने बताया कि पश्चिमी देशों में रहनेवाले लोग “सदियों से चले आ रहे ‘चमत्कारी इलाज’ की इस धारणा को मानते हैं: हरेक परेशानी को भगाने के लिए एक गोली।” दूसरे शब्दों में कहें तो हम यही उम्मीद करते हैं कि चिकित्सा क्षेत्र में हर मर्ज़ की दवा होनी चाहिए यानी हर बीमारी का सीधा और सरल उपाय। मगर क्या चिकित्सा क्षेत्र के लिए इस बड़ी उम्मीद को पूरी करना मुमकिन होगा?(g01 6/8)