वॉचटावर ऑनलाइन लाइब्रेरी
वॉचटावर
ऑनलाइन लाइब्रेरी
हिंदी
  • बाइबल
  • प्रकाशन
  • सभाएँ
  • g05 10/8 पेज 31
  • सजग होइए! पढ़कर खबरदार हुए!

इस भाग के लिए कोई वीडियो नहीं है।

माफ कीजिए, वीडियो डाउनलोड नहीं हो पा रहा है।

  • सजग होइए! पढ़कर खबरदार हुए!
  • सजग होइए!–2005
सजग होइए!–2005
g05 10/8 पेज 31

सजग होइए! पढ़कर खबरदार हुए!

सजग होइए! को नियमित तौर से पढ़नेवाले जानते हैं कि इनमें छपनेवाले लेख बहुत फायदेमंद होते हैं। मगर जर्मनी के एक शादीशुदा जोड़े, राइनर और रॉस्वीता गज़ेल के लिए, फरवरी 8,2001 (अँग्रेज़ी) का लेख “हत्यारी लहरें—क्या सच है और क्या झूठ” बहुत बेशकीमती साबित हुआ। यह जोड़ा पिछले साल दिसंबर में, थाइलैंड के काउ लाक नाम के इलाके में छुट्टियाँ मनाने गया था।

जर्मनी के अखबार, फ्राँगकनपॉस्ट (ज़ेलबा टागब्लाट) ने रिपोर्ट दी कि इस जोड़े के साथ क्या हुआ: “रॉस्वीता गज़ेल याद करके कहती है, ‘हम दोनों समुंदर में तैर रहे थे।’ तैरने के बाद, वे दोनों कपड़े बदलने के लिए अपने होटल चले गए। वापस आने के बाद, उन्होंने जो अजीबो-गरीब मंज़र देखा, उसके बारे में राइनर बताता है: ‘दस मिनट बाद जब हम समुंदर किनारे वापस आए, तो देखा कि समुंदर गायब हो गया था।’ किनारे से करीब सात किलोमीटर अंदर समुद्री चट्टान तक सिर्फ समुद्रतल ही दिखायी दे रहा था। ‘हमारे जाने के बाद जितने लोग समुंदर में तैर रहे थे, उन सभी को लहरें अपने साथ गहरे समुंदर में ले गयी थीं।’ गज़ेल दंपत्ति का कहना है कि सजग होइए! पत्रिका के एक लेख की बदौलत ही उनकी जान बची।” वह कैसे? उस लेख में यह बताया गया है कि सुनामी के आने से पहले अकसर एक अजीब घटना घटती है। वह यह है कि समुंदर का पानी किनारे से इतना अंदर चला जाता है कि समुद्रतल दिखायी देने लगता है।

“जब गज़ेल दंपत्ति ने कुछ दूरी पर एक विशाल लहर को आते देखा, तो वे मुड़कर भागने लगे। राइनर गज़ेल याद करते हुए कहता है कि वह विशाल लहर करीब 12 से 15 मीटर ऊँची थी। एक बात जिसे याद करके आज भी उसके रोंगटे खड़े हो जाते हैं, वह यह है कि बाकी सैलानी उस वक्‍त वहीं खड़े-खड़े आँखें फाड़े हुए उस सागर को देख रहे थे। ‘उन्होंने वहाँ से हिलने का नाम नहीं लिया। मैंने उन्हें आवाज़ लगायी कि वहाँ से भाग जाओ, मगर किसी ने मेरी एक न सुनी।’ उनमें से कोई भी नहीं बचा।”

गज़ेल दंपत्ति के बारे में अखबार ने यह भी कहा: “यहोवा के साक्षी होने के नाते, वे छुट्टियों के दौरान भी सबसे पासवाली कलीसिया की सभाओं में जाते थे, जो काउ लाक से 140 किलोमीटर दूर थी। जैसे ही वहाँ के साक्षियों को विपत्ति की खबर मिली, पूरी-की-पूरी कलीसिया गज़ेल जोड़े को ढूँढ़ने काउ लाक की तरफ निकल पड़ी।”

उस हादसे से बचने के बाद अब यह जोड़ा वापस अपने घर जर्मनी आ गया है। वे दोनों सजग होइए! में सुनामी के बारे में दी बेशकीमती जानकारी के लिए दिल से एहसानमंद हैं। और वे थाईलैंडवासियों की मदद के लिए कितने शुक्रगुज़ार हैं, खासकर अपने आध्यात्मिक भाइयों की मदद के, जिन्होंने अपने सच्चे मसीही प्यार का सबूत दिया! (g05 7/22)

    हिंदी साहित्य (1972-2025)
    लॉग-आउट
    लॉग-इन
    • हिंदी
    • दूसरों को भेजें
    • पसंदीदा सेटिंग्स
    • Copyright © 2025 Watch Tower Bible and Tract Society of Pennsylvania
    • इस्तेमाल की शर्तें
    • गोपनीयता नीति
    • गोपनीयता सेटिंग्स
    • JW.ORG
    • लॉग-इन
    दूसरों को भेजें