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सजग होइए!–2007
g 4/07 पेज 30

सख्त जानवाले वॉटर बेयर

जापान में सजग होइए! लेखक द्वारा

◼ दलदली जगह हो या बर्फीली, नाला हो या गर्म पानी का सोता, तालाब हो या महासागर, या फिर हो आपके घर का पिछवाड़ा, जी हाँ, चाहे जहाँ भी आपको पानी जमा हुआ दिखे, वहाँ ढूँढ़ने पर आप क्या पाएँगे? एक छोटा-सा मगर दुनिया के सबसे सख्त जीवों में से एक जीव, वॉटर बेयर। वॉटर बेयर इतना छोटा होता है कि यह बहुत मुश्‍किल से नज़र आता है। यह दिखने में कैसा होता है? इसका शरीर बहुत ही छोटा और चार खंडों में बँटा होता है, जो बाहर से एक मोटी चमड़ी से ढका रहता है। इसके आठ पैर होते हैं और हर पैर के सिरे पर पंजे होते हैं। इसके शरीर का आकार ठीक भालू जैसा होता है और वह उसी की तरह लस्टम-पस्टम चलता भी है। इसीलिए इसे वॉटर बेयर नाम दिया गया है (अँग्रेज़ी में इस नाम का मतलब है, पानी में रहनेवाला भालू)।

वॉटर बेयर, मन्दचारी (tardigrades) नाम के जीवों में आता है। मन्दचारी का मतलब है, “धीमी चाल चलनेवाला।” इसकी सैकड़ों जातियों का पता लगाया जा चुका है। मादा वॉटर बेयर एक ही बार में, 1 से लेकर 30 तक अंडे दे सकती है। बस कुछ मुट्ठी-भर गीले बालू या मिट्टी में ये जीव लाखों की तादाद में पाए जा सकते हैं। इन्हें ढूँढ़ निकालने की सबसे बढ़िया जगह है, छतों पर उगनेवाली काई।

वॉटर बेयर, बद-से-बदतर हालात में भी ज़िंदा रह सकते हैं। इनसाइक्लोपीडिया ब्रिटैनिका कहती है: “कुछ वॉटर बेयर को आठ दिन के लिए खाली जगह (वैक्युम) में रखा गया था। फिर, उन्हें तीन दिन के लिए सामान्य तापमान पर लाए गए हीलियम गैस में रखा गया। इसके बाद, उन्हें कई घंटों तक -272 डिग्री सेलसियस (-458°F) के तापमान में रखा गया। आखिर में, जब उन्हें बाहर सामान्य तापमान में लाया गया, तो वे फिर से ज़िंदा हो गए।” इतना ही नहीं, सौ गुना ज़्यादा रेडिएशन देने पर भी उनका एक भी बाल बाँका नहीं होता, जबकि अगर एक इंसान को उतना रेडिएशन दिया जाए, तो वह ज़िंदा ही नहीं बचेगा। इसलिए एक हद तक यह माना जा सकता है कि अगर उन्हें कुछ वक्‍त के लिए अंतरिक्ष की खाली जगह पर छोड़ दिया जाए, तब भी वे ज़िंदा रह सकते हैं!

आखिर, वॉटर बेयर इतनी सख्त जान के कैसे होते हैं? इसका राज़ यह है कि उनमें मौत जैसी हालत में जाने की काबिलीयत होती है, जिस दौरान उनके शरीर के अंदर की प्रक्रिया की रफ्तार 0.01 प्रतिशत से भी कम हो जाती है। यानी, उस वक्‍त यह बिलकुल भी पता नहीं चलता कि उसके शरीर के अंदर की प्रक्रिया चल रही है! ऐसी हालत में जाने के लिए, वॉटर बेयर अपने पैरों को शरीर के अंदर ले लेते हैं, शरीर से निकले पानी की जगह खास किस्म का शर्करा भर लेते हैं और अपने शरीर को पूरी तरह मोड़कर एक छोटे-से गेंद की तरह बना लेते हैं, जिस पर मोम की परत चढ़ जाती है। उनके इस गेंद जैसे आकार के शरीर को ‘टन’ कहा जाता है। जब तापमान फिर से सामान्य हो जाता है और हवा में दोबारा नमी आ जाती है, तो ये जीव चंद मिनटों या फिर कुछ घंटों में दोबारा चलने-फिरने लगते हैं। एक मौके पर तो वैज्ञानिक, उन वॉटर बेयर को भी ज़िंदा करने में कामयाब हुए थे, जो 100 साल से मौत जैसी हालत में पड़े थे!

जी हाँ, ये छोटे-छोटे ‘रेंगनेवाले जन्तु’ बेज़बान होने के बावजूद क्या ही लाजवाब तरीके से यहोवा की महिमा करते हैं।—भजन 148:10,13. (g 3/07)

[पेज 30 पर चित्र का श्रेय]

© Diane Nelson/Visuals Unlimited

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