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खाऊ कोआटी से एक मुलाकात

ब्राज़ील में सजग होइए! लेखक द्वारा

क ल्पना कीजिए कि आप जंगल में टहल रहे हैं और वहाँ के खूबसूरत नज़ारे का लुत्फ उठा रहे हैं। अचानक आप देखते हैं कि कोआटियों की एक टोली आपकी तरफ बड़ी तेज़ी से चली आ रही है। आपकी साँसें रुक जाती हैं। आप शायद सोचें: ‘कहीं ये मुझ पर हमला तो नहीं करनेवाले?’ पर डरिए मत! वे आपको कुछ नहीं करेंगे। भले ही कुछ मामलों में कोआटियों ने इंसानों को काटा हो, मगर इन नन्हे जानवरों को महज़ इस बात में दिलचस्पी है कि आपके बैग में कुछ खाने की चीज़ें तो नहीं। दरअसल, कोआटी हमेशा खाने की तलाश में यहाँ-वहाँ फिरते रहते हैं। जो कुछ भी उन्हें खाने को मिलता है, वे उसे फौरन चट कर जाते हैं, फिर चाहे वे कीड़े-मकोड़े हों, छिपकलियाँ, मकड़ियाँ, चूहे या फल हों। यहाँ तक कि वे चिड़ियों के अंडों को भी नहीं बख्शते।

कोआटी एक अमरीकी माँसाहारी जानवर है। हालाँकि इसका नाता रैकून नाम के एक जानवर से है, लेकिन इसका शरीर और पूँछ रैकून से लंबा होता है। कोआटी नाक से लेकर पूँछ तक 52 इंच लंबा होता है, जिसमें से पूँछ की लंबाई करीब 26 इंच होती है। कोआटी की थूथन भी लंबी और काफी लचीली होती है। गर्म इलाकों में पाया जानेवाला यह स्तनधारी जानवर, ज़्यादातर अमरीका के दक्षिणी-पश्‍चिमी हिस्से से लेकर उत्तरी अर्जेण्टिना तक के इलाकों में पाया जाता है।

मादा कोआटियाँ करीब 20 की टोली बनाकर निकलती हैं, जबकि नर अकेले घूमना-फिरना पसंद करते हैं। हर साल जब सहवास का मौसम आता है, तो एक नर, मादाओं की टोली में शामिल हो जाता है। उसके सात या आठ हफ्तों बाद जो मादाएँ गर्भवती होती हैं, वे पेड़ों पर घर बनाने के लिए टोली से अलग हो जाती हैं। हर मादा कोआटी तीन से चार बच्चों को जन्म देती है। बच्चों के पैदा होने के छः हफ्तों बाद, मादा कोआटियाँ अपने-अपने बच्चों को लेकर फिर से टोली में जा मिलती हैं। कोआटी के छोटे-छोटे, गोल-मटोल बच्चे ढुलमुल करते ऐसे लगते हैं, जैसे रोएँदार गेंदें लुढ़क रही हों।

कोआटी जब जंगल में मटरगश्‍ती करते हैं, तो वे लगातार हवा में सूँघते रहते हैं और अपने पंजों से ज़मीन खुरचते रहते हैं। किसानों को कोआटी एक आँख नहीं सुहाते, क्योंकि वे मकई की खेतों और मुर्गियों के दड़बे को तहस-नहस कर देते हैं। कोआटी, शिकारियों के चंगुल से बच निकलना बखूबी जानते हैं। ये चतुर प्राणी छिपने के लिए पेड़ों में बनाए अपने कोटर का अच्छा इस्तेमाल करते हैं। इसके अलावा, उनके पास बच निकलने की और भी कई तरकीबें होती हैं। जैसे ही ताली बजने की या बंदूक चलने की आवाज़ उनके कानों तक पहुँचती है, वे फौरन ज़मीन पर लेट जाते हैं और मरने का ढोंग करते हैं! जब तक शिकारी इन्हें पकड़ने के लिए नज़दीक आता है, तब तक वे वहाँ से रफू-चक्कर हो चुके होते हैं!

अगर आप कभी ब्राज़ील घूमने जाएँ, तो आपकी मुलाकात शायद कोआटियों की एक टोली से हो जाए। ऐसे में घबराइएगा नहीं! वे आपको कोई नुकसान नहीं पहुँचाएँगे। और अगर आप उनकी तरफ खाने के कुछ टुकड़े फेंक दें, तो ये खाऊ उन्हें सफाचट करने के लिए दौड़े चले आएँगे! (g 7/08)

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