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सजग होइए!–2009
g 7/09 पेज 17

क्या इसे रचा गया था?

कमल के पत्ते पानी से अछूते

◼ सोचिए, अगर खुद ही साफ हो जानेवाले प्लास्टिक के कप हों? बारिश के बावजूद खिड़कियों पर पानी की बूँद न हो? सूक्ष्मदर्शी मशीनों को पानी से बचाने के लिए उन पर कोई परत न चढ़ानी पड़े तो कैसा हो? वैज्ञानिक कहते हैं कि अगर हम कमल के पत्तों में छिपा राज़ जान लें, तो हमें सिर्फ ये ही नहीं और भी बहुत-से फायदे होंगे।

गौर कीजिए: कमल के पत्ते की ऊपरी सतह को अगर सूक्ष्मदर्शी से देखें तो उस पर कई उभार नज़र आएँगे। इन उभारों पर मोम के कणों की परत होती है। जब पानी की बूँदें पत्ते पर गिरती हैं, तो वे इन पर अटक जाती हैं। मोम के कण जो पानी से नफरत करते हैं, उन्हें अपने पर टिकने नहीं देते। इसलिए इससे पहले कि बूँदें पत्ते की सतह तक पहुँचें, फिसलकर गिर जाती हैं। नतीजा क्या होता है? कमल के पत्ते न सिर्फ सूखे रहते हैं, बल्कि साफ भी रहते हैं क्योंकि ये बूँदें गंदगी और धूल अपने साथ बहा ले जाती हैं।

वैज्ञानिक ऐसी चीज़ें बनाना चाहते हैं जिनमें कमल के पत्ते का गुण हो, यानी पानी से अछूते रहने का गुण। इससे सूक्ष्मदर्शी मशीनों को भी फायदा होगा, जो पानी से खराब हो जाती हैं। साइंस डेली पत्रिका रिपोर्ट करती है: “इसका इस्तेमाल इतनी सारी चीज़ों में किया जा सकेगा, जिसकी कोई गिनती नहीं।”

आपको क्या लगता है? कमल के पत्ते इत्तफाक से आ गए या इनकी रचना की गयी? (g 4/09)

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