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अध्ययन ३

प्रभावकारी प्रस्तावनाएँ

१-३. एक भाषण की प्रस्तावना में आप किस तरह विषय के लिए दिलचस्पी जगा सकते हैं?

दिलचस्पी जगानेवाली। एक भाषण की प्रस्तावना को उस विषय में दिलचस्पी जगाना चाहिए। इसे आपके श्रोतागण के ध्यान को आकर्षित करना चाहिए और जो बताया जानेवाला है उसे अच्छी तरह सुनने के लिए उन्हें तैयार करना चाहिए। ऐसा करने के लिए, श्रोतागण को यह समझाना ज़रूरी है कि आपका विषय कितना मूल्यवान है।

२ एक सर्वोत्तम तरीक़ा जिससे आप एक भाषण में दिलचस्पी जगा सकते हैं वह है अपने श्रोतागण को शामिल करना। उन्हें यह समझाइए कि यह जानकारी उनके लिए अत्यावश्‍यक है, कि यह उनके जीवन से सम्बन्ध रखती है। ऐसा करने में आपको श्रोतागण के स्तर से शुरू करना पड़ेगा। इसका अर्थ है कि आप जो कहते हैं वह सुननेवालों के सामान्य ज्ञान के अनुसार होना चाहिए। यह एक दृष्टान्त, या एक समस्या, या सवालों की एक श्रंखला हो सकती है। लेकिन इसे हमेशा कुछ ऐसा होना चाहिए जिससे आपके श्रोतागण परिचित होंगे ताकि वे उसे समझ सकें और उसे स्वयं पर लागू कर सकें।

३ कुछ अवसरों पर, यह शायद ज़रूरी हो कि आपकी प्रस्तावना में आपको पूर्वधारणा को हटाना पड़े। यदि चर्चा किया जा रहा विषय बहुत ही विवादास्पद है तो यह शायद विशेषतः सच हो। ऐसे मामलों में आपकी प्रस्तावना अतिमहत्त्वपूर्ण है यदि आपको अपने श्रोतागण की दिलचस्पी को तब तक बनाए रखना है जब तक कि अपने मुद्दे को साबित करने की सब दलीलें प्रभावकारी रीति से प्रस्तुत न की जा सकें। घर-घर की सेवकाई में अकसर एक घिसे-पिटे विरोध का सामना व्यवहारकुशल रीति से पहले उस बात को बताने से और फिर जिस विषय की आप चर्चा करना चाहते हैं उसकी चर्चा को आगे बढ़ाने से किया जा सकता है।

४-६. कौन-सी अन्य बातें हमारी प्रस्तावनाओं को दिलचस्पी जगाने में मदद देंगी?

४ आप क्या कहते हैं वह हमेशा सबसे महत्त्वपूर्ण है। लेकिन अपनी प्रस्तावना द्वारा दिलचस्पी को जगाने के लिए आप इसे कैसे कहते हैं वह संभवतः भाषण के और किसी भी भाग से ज़्यादा यहाँ महत्त्वपूर्ण है। इस कारण आपकी प्रस्तावना के लिए ध्यानपूर्ण पूर्वतैयारी की ज़रूरत है, न केवल आप जो कहने जा रहे हैं उसकी तैयारी, बल्कि जिस रीति से आप इसे प्रस्तुत करना चाहते हैं उसकी भी तैयारी।

५ साधारणतः, छोटे, सरल वाक्य प्रस्तावना में आपके उद्देश्‍य को सबसे अच्छी तरह पूरा करेंगे। क्योंकि शब्द-चयन प्रस्तावना के लिए उपलब्ध थोड़े समय में आपके उद्देश्‍य को पूरा करने में इतना अनिवार्य है, आप शायद पहले दो या तीन वाक्यों को काफ़ी ध्यानपूर्वक तैयार करना फ़ायदेमंद पाएँ। उन्हें अपने नोट्‌स में लिख लीजिए ताकि आप उन्हें पढ़ सकें, या उन्हें याद कीजिए ताकि आपके शुरूआत के शब्द वह प्रभाव डाल सकें जो उनमें होना चाहिए और जिसकी ज़रूरत है। इसके अतिरिक्‍त, यह आपको शुरू में अधिक आत्म-विश्‍वास देगा और नोट्‌स देखे बिना बोलने में पर्याप्त आत्मसंयम प्राप्त करने के लिए अवसर प्रदान करेगा।

६ हालाँकि आपका सलाहकार इस भाषण गुण के सम्बन्ध में इन मुद्दों के बारे में फ़िक्र नहीं करेगा, फिर भी, आपकी प्रस्तावना की प्रस्तुति के बारे में कुछ शब्द और। यदि आप घबराहट महसूस करते हैं तो अपनी गति कम कीजिए और एक धीमे-स्वर में बात कीजिए। विश्‍वास से बोलिए, लेकिन हठधर्मी होने की कोई धारणा न बनने दीजिए। ऐसा व्यवहार शुरूआत में ही आपके श्रोतागण को आपसे दूर ले जा सकता है।

७. आपको अपनी प्रस्तावना कब तैयार करनी चाहिए?

७ हालाँकि एक भाषण की प्रस्तावना प्रस्तुत की गई पहली बात है, यह साधारणतः भाषण के मुख्य भाग के अच्छी तरह व्यवस्थित हो जाने के बाद सबसे प्रभावकारी रीति से तैयार की जाती है। इससे आप यह जान सकते हैं कि जिस विषय की आपने तैयारी की है उसे सही रीति से प्रस्तुत करने के लिए क्या कहना सबसे अच्छा होगा।

८-१०. हम अपनी प्रस्तावनाओं को विषय के अनुरूप कैसे बना सकते हैं?

८ मूल-विषय के अनुरूप। जब आपकी प्रस्तावना मूल-विषय के अनुरूप होगी तभी वह प्रभावकारी रीति से विषय की ओर ले जाएगी। बड़ी सावधानी बरतने की ज़रूरत है कि आप प्रस्तावना में उसी बात का इस्तेमाल करें जो आपके बोलने के उद्देश्‍य में योग देती है। जी हाँ, इसे राज्य संदेश की गरिमा के अनुसार होना चाहिए और श्रोतागण में शायद जो अजनबी हैं उन्हें नाराज़ न करने के लिए तैयार किया गया होना चाहिए।

९ आपकी प्रस्तावना को न केवल आपके चर्चा के विषय की ओर ले जाना चाहिए परन्तु उसे विषय के उस ख़ास पहलू को स्पष्टतः प्रस्तुत करना चाहिए जिसे आप पेश करने जा रहे हैं। इसका अर्थ है एक निश्‍चित मूल-विषय तक अपने विषय को सीमित रखना, और फिर किसी तरह उस मूल-विषय का, जहाँ तक व्यावहारिक है, अपनी प्रस्तावना में उल्लेख करना। यदि आप स्पष्ट रूप से अपने मूल-विषय को नहीं बताएँगे तो आप शायद, कुछ अवसरों पर, मुख्य या मूल शब्दों का अपनी प्रस्तावना में प्रयोग कर सकते हैं। इससे आपके श्रोतागण विषय के किसी और ऐसे पहलू पर चर्चा करने की आपसे अपेक्षा नहीं कर रहे होंगे जो आपके भाषण का शीर्षक सूचित कर सकता है।

१० सभी भाषणों में कुछ कमी नहीं होनी चाहिए, एक बात से शुरू होकर दूसरी बात में समाप्त नहीं होना चाहिए। इसके अलावा, प्रस्तावना का विषय अनुरूप होने और उसका दिलचस्पी जगानेवाला बनाने में हमें संतुलन रखना चाहिए। दूसरे शब्दों में, मात्र शुरूआत में एक अच्छी कहानी के लिए मूल-विषय को त्यागा नहीं जाना चाहिए। भाषण का उद्देश्‍य आपके विषय के चयन में निर्णायक होना चाहिए। और इसे भाषण के मुख्य भाग के साथ संयुक्‍त होना चाहिए तथा इसके साथ उसका मेल बैठना चाहिए।

११-१४. हम किस प्रकार निर्धारित कर सकते हैं कि प्रस्तावना उचित लम्बाई की है?

११ उचित लम्बाई की। एक प्रस्तावना कितनी लम्बी होनी चाहिए? इसका कोई निश्‍चित जवाब नहीं है जो सब परिस्थितियों में सही बैठेगा। एक प्रस्तावना की लम्बाई विषय को दिए गए समय, भाषण के उद्देश्‍य, सम्बन्धित श्रोतागण और अनेक समान कारणों पर निर्भर करती है।

१२ वास्तव में, एक भाषण को सुनते वक़्त, निरन्तरता की ख़ातिर, साधारणतः प्रस्तावना और भाषण के मुख्य भाग के बीच एक स्पष्ट विभाजन करना कठिन होना चाहिए। यह एक समस्या है जो आपके सलाहकार को होगी जब आपकी भाषण सलाह परची के इस गुण पर कार्य किया जाएगा। हर विद्यार्थी अपने भाषण में कुछ प्रस्तावनात्मक टिप्पणियाँ इस्तेमाल करता है, लेकिन सलाहकार इस बारे में दिलचस्पी रखेगा: क्या प्रस्तावना इतनी लम्बी-चौड़ी, इतनी विस्तृत है कि आपके श्रोतागण प्रस्तुत की जानेवाली मुख्य दलीलों तक आपके पहुँचने से पहले ही बेचैन होने लगते हैं?

१३ एक प्रस्तावना को एक निश्‍चित, संगठित और शीघ्र बढ़नेवाली विचारों की श्रंखला होनी चाहिए जो दिलचस्पी जगानेवाले गुणों को बिना त्यागे विषय की ओर बढ़ती है। उसे बिना किसी कमी के पूर्ण होनी चाहिए। इसके लिए ध्यानपूर्वक विचार करने की ज़रूरत है क्योंकि यदि आपकी शुरूआत विषय से इतनी दूर है कि इसके लिए एक लम्बे और विस्तृत विवरण की ज़रूरत है तो अपनी प्रस्तावना का संशोधन करना और संभवतः एक नयी शुरूआत ढूँढना सर्वोत्तम होगा।

१४ यदि प्रस्तावना और भाषण के मुख्य भाग के बीच एक सुस्पष्ट विभाजन पाना कठिन है तो संभवतः आपकी प्रस्तावना उचित लम्बाई की है। यह सूचित करेगा कि आप अपने श्रोतागण को विषय की ओर इतनी अच्छी तरह लाए हैं कि वे आपकी दलीलों को वास्तव में अवगत हुए बग़ैर सुन रहे हैं। दूसरी ओर, यदि वे यह विचार करने लगें कि कब आप वास्तव में अपने विषय पर पहुँचेंगे, तो आप निश्‍चिन्त हो सकते हैं कि आपकी प्रस्तावना बहुत लम्बी है। यह अकसर दर-दर की प्रस्तुतियों में एक कमज़ोरी है, जहाँ अकसर एक दरवाज़े से दूसरे दरवाज़े पर आपकी प्रस्तावनाओं की लम्बाई को बदलने की ज़रूरत होती है।

१५, १६. एक भाषण की प्रस्तावना कितनी लम्बी होनी चाहिए जब यह एक परिचर्चा का भाग है?

१५ जब आप किसी कार्यक्रम का एकमात्र भाषण दे रहे हैं, या एक विद्यार्थी भाषण दे रहे हैं तो आपकी प्रस्तावना अन्य अवसरों की तुलना में शायद ज़्यादा लम्बी हो। लेकिन यदि आपका भाषण एक परिचर्चा का भाग है, या यदि वह एक सेवा सभा का एक भाग है, तब आपकी प्रस्तावना संक्षिप्त और प्रासंगिक हो सकती है क्योंकि यह एक पूर्ण भाषण का भाग है जिसकी प्रस्तावना दी जा चुकी है। लम्बी और उलझनेवाली प्रस्तावनाएँ बहुत समय लेती हैं। वह भाषण का मुख्य भाग है जो उन विचारों को पेश करेगा जिन्हें आपको प्रस्तुत करना है।

१६ सारांश में, आपकी प्रस्तावना मात्र सम्पर्क स्थापित करने के लिए, दिलचस्पी जगाने के लिए, और जिस विषय की आप चर्चा करने जा रहे हैं उसमें ले जाने के लिए ही है। इसे उतनी तीव्रता से कीजिए जितना कि व्यावहारिक है और फिर आपके विषय की वास्तविक जानकारी में आगे बढ़िए।

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