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my कहानी 111
युतुखुस ऊपर से गिरकर मर जाता है

कहानी 111

एक लड़का जो सो गया

अरे! इस लड़के को क्या हो गया है? क्या उसे बहुत चोट लगी है? कहीं वह ऊपर खिड़की से तो नहीं गिरा है?

हाँ, यही हुआ है। दरअसल पौलुस यहाँ त्रोआस में चेलों को भाषण दे रहा था। उसे अगले दिन दूसरी जगह के लिए जहाज़ से निकलना था। उसे मालूम था कि अब वह उनसे बहुत दिनों तक नहीं मिल पाएगा। इसलिए वह आधी रात तक उनसे बातें करता रहा।

जो लड़का खिड़की से गिर गया, उसका नाम यूतुखुस था। वह तीसरी मंज़िल की खिड़की पर बैठा पौलुस की बातें सुन रहा था। वह वहीं बैठे-बैठे सो गया और खिड़की से नीचे गिर गया। इससे लोग एकदम डर गए। वे उसे देखने नीचे आए। देखिए उनमें पौलुस और तीमुथियुस भी हैं। जब लोगों ने उसे उठाया, तो जिसका उन्हें डर था, वही हुआ। वह मर गया था!

तब पौलुस उस लड़के पर लेट गया और उससे लिपट गया। फिर पौलुस ने कहा: ‘चिंता मत करो। लड़का बिलकुल ठीक है!’ और यह बात सच थी। क्योंकि पौलुस ने उसे दोबारा ज़िंदा कर दिया! वाह, क्या चमत्कार था! वहाँ मौजूद सब लोगों में खुशी की लहर दौड़ गयी।

फिर वे सब ऊपर कमरे में गए और खाना खाया। पौलुस सुबह तक उनसे बात करता रहा। क्या यूतुखुस उस रात दोबारा सोया होगा? दोबारा? उसने तो दोबारा सोने का नाम तक नहीं लिया होगा। सुबह होने पर पौलुस, तीमुथियुस और उनके साथी एक जहाज़ पर सवार हो गए। मालूम है वे कहाँ जा रहे थे?

पौलुस और तीमुथियुस देखते हैं कि युतुखुस गिर कर मर गया

पौलुस तीसरी बार अलग-अलग जगह प्रचार करने के बाद, अब घर जा रहा था। इस बार वह तीन साल तक तो सिर्फ इफिसुस में रहा। इसलिए यह उसके पिछले दौरे से भी लंबा था।

त्रोआस से निकलने के बाद, पौलुस का जहाज़ कुछ समय के लिए मीलेतुस में रुका। वहाँ से इफिसुस कुछ ही किलोमीटर दूर था। इसलिए पौलुस ने वहाँ की कलीसिया के प्राचीनों को मीलेतुस बुलाया, ताकि वह उनसे आखिरी बार बात कर सके। जब पौलुस के चलने का समय आया, तब प्राचीनों को बड़ा दुःख हुआ!

आखिर में जहाज़ कैसरिया पहुँचा। पौलुस वहाँ फिलिप्पुस नाम के एक चेले के घर में रुका। वहाँ अगबुस नाम के एक नबी ने पौलुस को बताया कि जब वह यरूशलेम जाएगा, तो उसे बंदी बना लिया जाएगा। और वही हुआ। जब वह यरूशलेम गया, तो उसे पकड़कर जेल में डाल दिया गया। कैसरिया में दो साल जेल में रहने के बाद, पौलुस को रोम के राजा कैसर के सामने मुकदमे के लिए भेजा गया। आइए देखें कि रोम जाने के रास्ते में उसके साथ क्या हुआ।

प्रेरितों अध्याय 19 से 26.

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