गीत 14
विवाह—परमेश्वर का प्रबंध
1. शादी है ऐसा बंधन,
जोड़ा यहोवा ने,
देके इसपे आशीषें,
पावन किया इसे।
नर नारी का है संगम
ना हों कभी जुदा,
साथ मिलके पतिपत्नी
याह की करें सेवा।
2. याह का वचन है अनमोल,
दे ये हिदायतें,
फ़र्ज़ दोनों का बताए,
कैसे पूरा करें।
‘प्यार पत्नी से करो तुम,
रखो उसका ख़याल,
जो पति को दे आदर,
पत्नी वो बेमिसाल।’
3. डोरी वही अटूट जो
तीन धागों से बटे,
तीसरा हो गर यहोवा
बंधन ये ना टूटे।
आपस में देना सीखो
इससे मिले ख़ुशी,
फिर पाओगे तुम दोनों
आशीष यहोवा की।