गीत 28
‘मेरा जुआ उठा’
1. बोझ से दबे हुओ,
कष्ट से थकेमाँदो,
यीशु है कहता तुमको,
‘राहत तुम मुझसे पाओ।’
2. ‘दीन हूँ नम्र दिल मेरा,
ना हूँ मैं संसार का,
मैं सिखाऊँ प्यार है क्या,
आ मेरा जुआ उठा।’
3. ‘है सहज जुआ मेरा,
होगा बोझ हलका तेरा,
धर्मियों को मैं देता,
मन की शांति, चैन दिल का।’
4. संग यीशु का ना छोड़ो,
देगा तुमको ताक़त वो,
ताकि आ दुःख भी तो,
याह की राह पे चल सको।