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संतोष से भरी ज़िंदगी—कैसे हासिल की जा सकती है
la भाग 4 पेज 15-17

भाग 4

बेजोड़ किताब का रचनाकार

अमरीका में करीब 96 प्रतिशत लोग मानते हैं कि उन्हें परमेश्‍वर में विश्‍वास है मगर यूरोप और एशिया में देखें तो ऐसे लोगों की गिनती बहुत कम है। फिर भी, जिन देशों में ज़्यादातर लोग परमेश्‍वर के वजूद में विश्‍वास नहीं करते, वहाँ भी बहुत-से लोग मानते हैं कि इस विश्‍वमंडल को बनाने में किसी अनजानी शक्‍ति का हाथ है। जापान के एक मशहूर शिक्षक, यूकीची फूकूज़ावा ने, जिनकी तसवीर 10,000 यॆन नोट पर पायी जाती है, एक बार लिखा: “कहा जाता है कि उस स्वर्ग ने किसी भी इंसान को छोटा-बड़ा नहीं बनाया है।” फूकूज़ावा ने शब्द “स्वर्ग” का इस्तेमाल करके प्रकृति के उस नियम की तरफ ध्यान दिलाया, जिसने उनकी राय में इंसानों की सृष्टि की थी। बहुत-से लोग नोबल पुरस्कार विजेता, केनीची फूकुई की तरह मानते हैं कि विश्‍वमंडल को एक अमूर्त “स्वर्ग” ने बनाया है। केनीची फूकुई ने विश्‍वास ज़ाहिर किया कि विश्‍वमंडल में किसी महान संरचना ने ही सृष्टि की है, जिसे धार्मिक ग्रन्थों में “ईश्‍वर” का नाम दिया गया है मगर उन्होंने खुद इसे “प्रकृति का ताना-बाना” कहा।

यूकीची फूकूज़ावा, केनीची फूकुई

बायीं तरफ: यूकीची फूकूज़ावा; दायीं तरफ: केनीची फूकुई

2 ऐसे विद्वानों का मानना है कि किसी सनातन वस्तु या कारक ने विश्‍वमंडल की हर चीज़ को बनाकर उन्हें रफ्तार दी। उनके ऐसा मानने की वजह क्या है? ज़रा गौर कीजिए: सूरज इतना बड़ा तारा है कि इसके अंदर दस लाख पृथ्वी समा सकते हैं लेकिन यह आकाशगंगा में सिर्फ एक दाने की तरह है। और पूरी अंतरिक्ष में ऐसी अरबों आकाशगंगाएँ पायी जाती हैं। वैज्ञानिकों के अध्ययन से पता चला है कि ये मंदाकिनियाँ बहुत तेज़ रफ्तार में एक-दूसरे से दूर जा रही हैं जिसका मतलब है कि हमारा विश्‍वमंडल तेज़ी से फैलता जा रहा है। विश्‍वमंडल को शुरू करने के लिए अथाह ऊर्जा और महाशक्‍ति की ज़रूरत पड़ी होगी। यह सारी ऊर्जा कहाँ से आयी, इसका स्रोत कौन है? बाइबल पूछती है: “अपनी आंखें उठाकर देखो कि किसने इन तारागणों की सृष्टि की है, कौन उनके गणों में से एक एक की अगुवाई करता, और उन सब को नाम ले लेकर बुलाता है। उसके विशाल सामर्थ्य और उसकी महाशक्‍ति के कारण उनमें से एक भी न छूटेगा।” (यशायाह 40:25, 26, NHT) यह वचन दिखाता है कि विश्‍वमंडल की शुरूआत ज़रूर किसी हस्ती ने की थी—वही जो “विशाल सामर्थ्य” का मालिक है।

सोमब्रेरो मंदाकिनी

सोमब्रेरो मंदाकिनी

3 अब हम धरती पर पाए जानेवाले जीवन पर विचार करते हैं। क्या धरती पर जीवन की शुरूआत अपने आप हो गयी थी, जैसा विकासवादी दावा करते हैं? जीव-रसायन-विज्ञानी माइकल बीही कहते हैं: “विज्ञान ने यह समझने में काफी तरक्की कर ली है कि जीवन को मुमकिन बनाने में रसायन प्रक्रियाएँ किस तरह काम करती हैं। लेकिन जहाँ तक जीव-जन्तुओं में पाए जानेवाले अणुओं की बात है, इनकी खूबसूरती और जटिलता ने वैज्ञानिकों को यह समझाने में बुरी तरह नाकाम साबित किया है कि जीवन की शुरूआत कैसे हुई थी। . . . बहुत-से वैज्ञानिक ज़िद करते हैं कि जीवन की शुरूआत के बारे में वे सारे सवालों के जवाब जान गए हैं, और अगर नहीं तो बहुत जल्द इसकी गुत्थी सुलझा लेंगे। लेकिन आज तक वैज्ञानिकों की किसी भी किताब में उनके ऐसे दावों का एक भी सबूत देखने को नहीं मिलता। और सबसे अहम बात यह है कि [जैविक अणुओं] की रचना के आधार पर यह कहा जा सकता है कि जीवन की शुरूआत के बारे में डार्विन के सिद्धांत को कभी-भी साबित नहीं किया जा सकेगा।”

प्रोटीन के हिस्से

माइकल बीही ने कहा: “एक प्रोटीन के फोल्ड . . . होने की तुलना एक पेचीदा थ्री.डी. पहेली से की जा सकती है।” मगर इंसान के शरीर में ऐसी हज़ारों-लाखों पहेलियाँ छिपी हुई हैं। वैज्ञानिक इन पहेलियों को सुलझाने की कोशिश में लगे हुए हैं, मगर इन पहेलियों को रचनेवाला कौन है?

4 क्या आप सचमुच इस सिद्धांत से सहमत हैं कि इंसान के जीवन की शुरूआत अपने आप हो गयी और इसमें किसी बुद्धिमान हस्ती का हाथ नहीं था? उदाहरण के लिए, हम इंसान के मस्तिष्क पर गौर करें जिसे कुछ लोगों ने “विश्‍वमंडल की सबसे जटिल वस्तु” माना है और फिर देखें कि हम किस नतीजे पर पहुँच सकते हैं। डॉ. रिचर्ड एम. रेस्ताक कहते हैं: “यहाँ तक कि सबसे आधुनिक कंप्यूटर की क्षमता एक घरेलू मक्खी की क्षमता के . . . लगभग दस हज़ारवें हिस्से के बराबर है।” मगर इंसान का मस्तिष्क तो एक घरेलू मक्खी के दिमाग से कहीं श्रेष्ठ है। हमारे दिमाग में नयी-नयी भाषाएँ सीखने का प्रोग्राम पहले से मौजूद है। यह खुद की मरम्मत कर सकता है, दोबारा प्रोग्राम लिख सकता है और खुद-ब-खुद अपनी क्षमता बढ़ा सकता है। बेशक आप इस बात से सहमत होंगे कि एक ‘घरेलू मक्खी की क्षमता का दस हज़ारवां हिस्सा’ रखनेवाले शक्‍तिशाली सुपरकंप्यूटर को भी ज़रूर किसी-न-किसी बुद्धिमान रचनाकार ने बनाया होगा। तो इंसान के मस्तिष्क के बारे में क्या कहा जा सकता है?a

5 करीब 3,000 साल पहले जब इंसानों को अपने शरीर की अद्‌भुत रचना के बारे में ज़्यादा समझ नहीं थी, ऐसे वक्‍त में बाइबल के एक लेखक ने इंसान के शरीर की बनावट पर ध्यान देकर यह कहा: “मैं तेरा धन्यवाद करूंगा, इसलिये कि मैं भयानक और अद्‌भुत रीति से रचा गया हूं। तेरे काम तो आश्‍चर्य के हैं, और मैं इसे भली भांति जानता हूं।” वह DNA अणुओं के बारे में बिलकुल नहीं जानता था फिर भी उसने लिखा: “तेरी आंखों ने मेरे बेडौल तत्व को देखा; और मेरे सब अंग . . . तेरी पुस्तक में लिखे हुए थे।” (भजन 139:14, 16) यह लेखक किसकी बात कर रहा था? वह कौन है जिसने अपने “विशाल सामर्थ्य” के ज़रिए विश्‍वमंडल की हर चीज़ की रचना की?

किसकी क्षमता ज़्यादा है, सबसे आधुनिक कंप्यूटर की या एक घरेलू मक्खी की?

किसकी क्षमता ज़्यादा है, सबसे आधुनिक कंप्यूटर की या एक घरेलू मक्खी की?

6 बाइबल की सबसे पहली आयत कहती है: “आदि में परमेश्‍वर ने आकाश और पृथ्वी की सृष्टि की।” (उत्पत्ति 1:1) वही परमेश्‍वर बाइबल का रचनाकार भी है और उसने अपनी प्रेरणा से इस किताब की हर बात लिखवायी है। वह खुद को एक ऐसे शख्स के तौर पर ज़ाहिर करता है जिसके साथ हम एक प्यार-भरा रिश्‍ता कायम कर सकते हैं।

a क्या एक सिरजनहार है जो आपकी परवाह करता है? (अँग्रेज़ी) नामक किताब के अध्याय 2 से 4 में इस बारे में ज़्यादा जानकारी दी गयी है जिसे पढ़कर आपको अच्छा लगेगा। इस किताब को वॉच टावर बाइबल एण्ड ट्रैक्ट सोसाइटी ने प्रकाशित किया है।

आप क्या सोचते हैं?

  1. 1, 2. आपके हिसाब से विश्‍वमंडल की शुरूआत कैसे हुई?

  2. 3. जीवन की शुरूआत अपने आप होने की संभावना के बारे में आपका क्या ख्याल है?

  3. 4. इंसान के मस्तिष्क की क्षमता पर गौर करने से इसकी सृष्टि के बारे में आपको क्या मालूम पड़ता है?

  4. 5, 6. जीवन के स्रोत के बारे में आप किस नतीजे पर पहुँचते हैं?

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