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पाप

पाप क्या है और इसका हम सब पर क्यों असर होता है?

भज 51:5; रोम 3:23; 5:12; 6:23; 1यूह 3:4; 5:17

बाइबल में कैसे यकीन दिलाया गया है कि हम बुरे काम करने की अपनी इच्छाओं से लड़ सकते हैं?

रोम 6:12-14

  • इससे जुड़े किस्से:

    • 2शम 11:2-5, 14, 15, 26, 27; 12:1-13​—जब राजा दाविद ने बड़े-बड़े पाप किए, तो उसे कड़ी सलाह देकर सुधारा गया। इस पर उसने पश्‍चाताप किया

    • रोम 7:15-24​—विश्‍वास और परमेश्‍वर की भक्‍ति करने के मामलों में पौलुस एक बढ़िया मिसाल था, फिर भी उसे अपनी गलत सोच और पापी इच्छाओं से लड़ना पड़ा

बहुत-से लोग कैसे अनजाने में या धोखे में रखे जाने की वजह से पाप करते हैं?

प्रेष 3:17; 17:29, 30; 1ती 1:13; 1पत 1:14

ये भी देखें: गि 15:27-29

जानबूझकर पाप करते रहना क्यों बहुत ही गंभीर बात है?

इब्र 10:26, 27; 1यूह 3:4, 8, 9

ये भी देखें: गि 15:30; रोम 1:28-32; 1ती 5:20

शैतान किन तरीकों से परमेश्‍वर के सेवकों को पाप करने के लिए लुभाता है?

नीत 1:10, 11, 15; मत 5:28; याकू 1:14, 15

  • इससे जुड़े किस्से:

    • उत 3:1-6​—शैतान ने एक साँप के ज़रिए हव्वा को लालच करने के लिए लुभाया और इससे वह यहोवा पर शक करने लगी

    • नीत 7:6-10, 21-23​—राजा सुलैमान ने एक नादान नौजवान के बारे में बताया, जो एक वेश्‍या के लुभाने पर उसकी बातों में आ गया

हम शैतान के फंदों में फँसने से कैसे बच सकते हैं?

इफ 4:27; 6:10-18; याकू 4:7, 8

  • इससे जुड़े किस्से:

    • नीत 5:1-14​—जैसे एक पिता अपने बेटे को नसीहत देता है, वैसे ही राजा सुलैमान ने यहोवा की तरफ से हमें नसीहत दी कि हमें क्यों और कैसे नाजायज़ यौन-संबंध रखने से दूर रहना चाहिए

    • मत 4:1-11​—परमेश्‍वर के वचन की मदद से यीशु शैतान के लुभाए जाने पर उसकी बातों में नहीं आया

कुछ गंभीर पाप क्या हैं, जिनसे मसीहियों को दूर रहना चाहिए?

ये देखें: “गलत काम”

पाप कबूल करना

हमें अपने पाप क्यों नहीं छिपाने चाहिए?

नीत 28:13; रोम 14:12; 1ती 5:24; इब्र 4:13

हमें किसके सामने अपना पाप कबूल करना चाहिए?

भज 32:5; मत 6:9-14

कौन हमारा “मददगार” है, जो हमें पापों की माफी दिलाने के लिए यहोवा से बिनती करता है?

1यूह 2:1; रोम 5:1, 2; 8:34; इफ 2:13, 18; 5:1, 2; इब्र 7:25

एक व्यक्‍ति कैसे दिखा सकता है कि उसने दिल से पश्‍चाताप किया है?

प्रेष 26:20; याकू 4:8-10

ये भी देखें: “पश्‍चाताप”

  • इससे जुड़े किस्से:

    • निर्ग 22:1-12​—मूसा के कानून के मुताबिक, एक चोर को उस व्यक्‍ति को मुआवज़ा देना पड़ता था जिसकी उसने चोरी की थी

    • लूक 19:8, 9​—कर वसूलनेवालों के प्रधान, जक्कई ने पश्‍चाताप किया। उसने अपनी गलती सुधारी और उन लोगों के पैसे लौटा दिए, जिन्हें उसने लूटा था

हम क्यों यकीन रख सकते हैं कि यहोवा हमें माफ कर देगा?

ये देखें: “माफी”

मंडली की हिफाज़त करने और गंभीर पाप करनेवालों की मदद करने की ज़िम्मेदारी यहोवा ने किसे दी है?

याकू 5:14, 15

ये भी देखें: प्रेष 20:28; गल 6:1

जब कोई गंभीर पाप करता है, तो इसका उसके परिवार और मंडली पर क्या असर पड़ सकता है?

इब्र 12:15, 16

ये भी देखें: व्य 29:18

  • इससे जुड़े किस्से:

    • यह 7:1-13, 20-26​—जब आकान ने गंभीर पाप किया और उसे छिपाने की कोशिश की, तो इस वजह सभी इसराएलियों पर मुसीबत आयी

    • यो 1:1-16​—यहोवा की बात ना मानने की वजह से योना ने जहाज़ पर सवार सभी की जान खतरे में डाल दी

    • 1कुर 5:1-7​—प्रेषित पौलुस ने कुरिंथ मंडली में हो रहे एक गंभीर पाप का खुलासा किया, जिसकी वजह से पूरी मंडली पर बुरा असर पड़ रहा था

हमें क्यों सुधारे जाने के डर से प्राचीनों की मदद लेने से पीछे नहीं हटना चाहिए?

नीत 3:11, 12; इब्र 12:5-7, 11; याकू 5:14, 15

अपने पुराने पाप के बारे में सोच-सोचकर दुखी होने के बजाय, हमें क्यों यकीन रखना चाहिए कि यहोवा ने हमें माफ कर दिया है?

ये देखें: “माफी”

जब हमें पता चलता है कि किसी मसीही ने गंभीर पाप किया है, तो हमें क्यों पक्का करना चाहिए कि वह जाकर प्राचीनों को इस बारे में बताए?

लैव 5:1

  • इससे जुड़े किस्से:

    • व्य 13:6-9; 21:18-20​—मूसा के कानून के मुताबिक, अगर किसी इसराएली का कोई परिवारवाला या दोस्त गंभीर पाप करता था, तो इस बारे में बताना उस इसराएली की ज़िम्मेदारी होती थी

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