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प्रहरीदुर्ग यहोवा के राज्य की घोषणा करता है—1989
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“ठीक समय पर कहा हुआ वचन”

“जैसे चान्दी की टोकरियों में सोनहले सेब हों, वैसा ही ठीक समय पर कहा हुआ वचन होता है,” नीतिवचन २५:११ कहता है। हमारे विचारशील शब्द और कृपापूर्ण कर्म किसी धर्मी व्यक्‍ति के मन को यहोवा के अनुमोदन के पथ पर दयाभाव से कोहना मारकर धकेल सकते हैं। कोई बात जो हमने, बर्सों पहले भी, कही या की होगी, किसी और व्यक्‍ति द्वारा अब भी बड़े चाव से याद की जाती होगी। उदाहरणार्थ, एक मण्डली को भेंट करते वक्‍त, एक सर्किट अध्यक्ष और उसकी पत्नी एक नव बपतिस्मा प्राप्त बहन के यहाँ महमान थे। सर्किट अध्यक्ष की पत्नी ने मेहमानदारी की क़दर दिखाकर शुक्रीअदा की एक चिट्ठी भेज दी। सात से अधिक वर्ष बाद, उसे निम्नलिखित चिट्ठी मिली:

“मुझे लगा कि मुझे आपको लिखकर बताना ही होगा कि दरअसल आपके जाने बग़ैर ही आपने इन बर्सों में मेरी कितनी मदद की है। मैंने आप और जिम को केवल एक छोटे से भोजन के लिए बुलाया था, और आपने शुक्रीअदा करने में मुझे एक बहुत ही अच्छा कार्ड भेजा था। वह बहुत ही स्नेहिल था, लेकिन वह शास्त्रपद था जिसने मेरे मन को छूआ, और मैं उसे कभी नहीं भूली। वह १९७६ की बात थी। मैं अपने परिवार में केवल एक ही व्यक्‍ति थी जिसे सच्चाई में सचमुच दिलचस्पी थी। मैंने अपनी बेटियों के साथ अध्ययन किया और एक अच्छी पत्नी बनने की कोशिश की। लेकिन कभी कभी मैं छोड़ना चाहती थी, सच्चाई को छोड़ना चाहती थी, उन ज़िम्मेदारियों को छोड़ना चाहती थी​—बस सभी छोड़ना चाहती थी। पर जो शास्त्रपद आपने लिख दिया, वह मेरे मन के डोरों को खींचता, और मैं अपने आप से कहती, ‘मैं कैसी स्वार्थी हूँ,’ और सहन करती रहती।

“उन आठ सालों में किसी और बात से मुझ पर इतना असर नहीं हुआ था, और मैं आपको उसके बारे में बताना चाहती थी। उस शास्त्रपद के अलावा, मैं ने सोचा कि यह कितनी अच्छी बात थी कि आप जैसी व्यस्त व्यक्‍ति ने समय निकालकर मेरा शुक्रिया ऐसी बात के लिए किया जो मुझे करनी ही चाहिए थी।

“जी हाँ​—वह शास्त्रपद​—२ यूहन्‍ना ८.

“सॅन्ड्रा”

आज सॅन्ड्रा के पति ने बपतिस्मा लिया है और सुसमाचार के एक प्रचारक के तौर से उसका साथ देता है। उनके दो बेटियों में से एक बेटी नियमित पायनियर है, और दूसरी बेटी उच्च विद्यालय से उसके हाल के स्नातक उपाधि ग्रहण के बाद से सहायक पायनियर का कार्य कर रही है।

आख़िर, २ यूहन्‍ना ८ क्या कहता है? “अपने विषय में चौकस रहो, कि जिन बातों को उत्पन्‍न करने के लिए हम ने परिश्रम की है, उन को तुम खो न दो, पर कि तुम उनका पूरा प्रतिफल पाओ।”

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