परमेश्वर के राज्य के अधीन पृथ्वी का उज्ज्वल भविष्य
बाइबल कहती है कि “विश्वास आशा की हुई वस्तुओं की सुनिश्चित प्रत्याशा है।” (इब्रानियों ११:१, न्यू.व.) जैसा कि हम ने पिछले लेख में देखा, मसीह के जन्म के ५०० से अधिक वर्ष पहले, परमेश्वर ने दानिय्येल की किताब में, दानिय्येल के समय से लेकर हमारे अपने समय तक की विश्व शक्तियों के उत्थान-पतन की एक भविष्यसूचक पूर्वदृष्टि लिखवायी। इन भविष्यद्वाणियों की यथार्थता हमें आश्वस्त करती है, हमें विश्वास के लिए ठोस कारण देती है, कि दानिय्येल के बाक़ी की भविष्यद्वाणियाँ भी परिपूर्ण की जाएँगी, और जल्द ही मसीह यीशु के अधीन परमेश्वर का राज्य मानवी शासनों का स्थान लेगा।
मानवजाति के लिए यह कैसा परिवर्तन होगा! उस समय की ओर देखते हुए, खुद परमेश्वर कहता है: “देख, मैं सब कुछ नया कर देता हूँ।” (प्रकाशितवाक्य २१:५) हमारे लिए उस आनन्दित समय का सजीव चित्र देनेवाली कुछेक प्रेरित भविष्यद्वाणियों पर विचार करना हमें यह देखने की मदद करेगा कि सब कुछ कितना “नया” होगा, उस सब से कितने पूर्ण रूप से अलग जो हम आज मानवी शासकत्व के अधीन होते देखते हैं। सचमुच, हमारी पृथ्वी का भविष्य और उस पर के जीवन के विषय बाइबल जो कहती है, वह आश्चर्यजनक से कम नहीं। ग़ौर करें:
अपराध और हिंसा ख़त्म होंगे। “क्योंकि कुकर्मी लोग काट डाले जाएँगे, . . . दुष्ट रहेगा ही नहीं।” जीवित सभी लोग “अपनी अपनी दाखलता और अंजीर के वृक्ष तले बैठा करेंगे, और कोई उनको न डराएगा; सेनाओं के यहोवा ने यही वचन दिया है।”—भजन ३७:९, १०; मीका ४:४.
प्रजातीय और राष्ट्रीय विभाजन, और उन से प्रोत्साहित युद्ध, ग़ायब हो चुके होंगे। “एक जाति दूसरी जाति के विरुद्ध फिर तलवार न चलाएगी, न लोग भविष्य में युद्ध की विद्या सीखेंगे।”—यशायाह २:४.
मकानों का अभाव, गृहहीनता, और बेरोज़गारी अतीत की बातें होंगी। यशायाह ने पूर्वबतलाया: “वे घर बनाकर उन में बसेंगे; वे दाख की बारियाँ लगाकर उनका फल खाएँगे। . . . और मेरे चुने हुए अपने कामों का पूरा लाभ उठाएँगे।”—यशायाह ६५:२१, २२.
भयंकर अकाल, जैसे आफ्रीका के कुछ हिस्सों में अकालों से हाल में कष्ट हुआ है, उन के बदले सब के लिए अन्न की बहुतायत होगी। “पृथ्वी पर बहुत सा अन्न होगा; पहाड़ों की चोटियों पर प्रचुरता होगी।” “पृथ्वी निश्चय ही अपनी उपज देगी; परमेश्वर, हमारा परमेश्वर, हमें आशीष देगा।”—भजन ७२:१६; ६७:६, ७, न्यू.व.
इसके अतिरिक्त, इन आशीषों का आनन्द उठाने के लिए तंदुरुस्ती और जीवन होगा। यीशु के पार्थीव सेवकाई के दौरान भी, यह सच-सच कहा गया था कि “अन्धे देखते हैं, लंगड़े चलते फिरते हैं, कोढ़ी शुद्ध किए जाते हैं, (और) बहिरे सुनते हैं।” परन्तु, इस से कहीं महत्तर प्रतिज्ञा लागू होगी: “वह [परमेश्वर] उन की आँखों से सब आँसू पोंछ डालेगा; और इस के बाद मृत्यु न रहेगी, और न शोक, न विलाप, न पीड़ा रहेगी; पहली बातें जाती रहीं।”—लूका ७:२२; प्रकाशितवाक्य २१:४.
कैसा शानदार परिवर्तन! व्यथित मनुष्यजाति को इस सब से कैसा आराम मिलेगा! हम आप को प्रोत्साहित करते हैं कि अब भी आप खुद को परमेश्वर के राज्य के अधीन कर लें, ताकि आप भी विश्व शासकत्व में इस महत्त्वपूर्ण परिवर्तन से आनेवाले फ़ायदें प्राप्त कर सकेंगे।
[पेज 11 पर तसवीरें]
अब जी रहे लोग बढ़िया आशीर्वादों की आशा कर सकेंगे—युद्ध, अपराध, ग़रीबी, बीमारी, और मृत्यु भी, की समाप्ति। क्या आप ऐसे भविष्य का आनन्द उठाएँगे?