यूनान पर एक दृष्टि
प्रारम्भिक ज्ञात यूनान के निवासी आयोनियन कहलाए जाते थे। माना जाता है कि यह नाम उनके पूर्वज जावान (इब्रानी, यावान) से पड़ा है, जो येपेत का पुत्र और इस प्रकार से नूह का पोता था। (उत्पत्ति १०:१, २) बाइबल के मसीही यूनानी शास्त्र में यूनान को हेलास कहा गया है। वह एक ऊबड़ खाबड़, चट्टानों से भरी भूमि है जिसके कुछ पहाड़ों पर काफ़ी जंगल हैं। बहुत समय पहिले यूनानियों ने समुद्रगमन में कुशलता प्राप्त कर ली थी।
प्राचीन काल के यूनानियों के कई देवता हुआ करते थे जिनके मानव रूप देकर अति सुन्दर बनाया जाता था। कहा जाता है कि यह देवता खाते, पीते और सोते थे; और यद्यपि वे पवित्र और अमर माने जाते थे, वे स्त्रियों को फुसलाते, बलात्कार करते थे और धोखा और अपराध भी कर सकने के योग्य थे। यह कथाएँ शायद जल-प्रलय से पहिले के समय के कुछ टूटी-फूटी यादें हैं जब परमेश्वर के स्वर्गदूतीय पुत्र बगावत करके पृथ्वी पर आए, स्त्रियों के साथ रहे और नेफ़िलिम नामक सामर्थ्यपूर्ण संतान उत्पन्न करके पृथ्वी को उपद्रव से भर दिया।—उत्पत्ति ६:१-८, १३.
चौथी शताब्दी सा.यु.पूर्व में महान सिकन्दर के पिता, फ़िलिप्पुस मकिदूनी ने, उन नगरों को जो पहिले स्वाधीन यूनानी राष्ट्र थे, संयुक्त करना आरम्भ किया और उन्हें मकिदूनी नियंत्रण के आधीन कर लिया। दूसरी शताब्दी सा.यु.पूर्व में यूनान रोम का एक प्रान्त बन गया और यूनानी संस्कृति रोम में फैल गई।
कोइने यूनानी भाषा के सर्वव्यापी प्रयोग ने भूमध्य क्षेत्र में मसीही सुसमाचार को तेज़ी से फैलाने में सहायता की।
अपने दूसरे और तीसरे मिशनेरी दौरे के दौरान प्रेरित पौलूस मकिदूनिया और यूनान गया। उन्होंने फ़िलिप्पी, थेस्सलुनीके, कुरिन्थुस और बिरीया में मसीही कलीसियाएँ स्थापित कीं। सिलास, तीमुथियुस, तीतुस और अन्य प्रारम्भिक मसीहियों ने भी यहाँ शिक्षा थी। आज यूनान में यहोवा के गवाहों की ३२० से अधिक कलीसियाएँ हैं और २३,००० से अधिक परमेश्वर के राज्य के प्रचारक हैं।