महान् चित्रकार यहोवा!
“चित्रकार अनगिनत सूर्योदय और सूर्यास्त के चित्र बनाते हैं, और उनके चित्र सैंकड़ों डॉलर, हज़ारों भी, के लिए बिकते हैं। फिर भी, यहोवा परमेश्वर, महान् चित्रकार और सूर्यास्त तथा सूर्योदय का उत्पादक, हमें हर रोज़ एक चित्र देता है—मुफ़्त। मूल चित्र प्रतिकृतियों से कहीं बढ़कर हैं। क्या हमें इस बात से उसकी, एक सृजनहार होने के नाते, क़दर करने का कारण नहीं मिलता?” यों हवाई (यू.एस.ए.) में यहोवा के गवाहों के एक सफ़री अध्यक्ष ने किसी मण्डली को दिए अपने एक भाषण में तर्क किया।
पहली बार किंग्डम हॉल को भेंट दे रही एक नास्तिक औरत श्रोतागण में बैठी थी। उसने सेवक-भाई के तर्क पर ग़ौर तो किया, लेकिन अब भी उसके मन में परमेश्वर के अस्तित्व के विषय पक्की शंकाएँ फिरती रहीं। परन्तु, लगभग दो साल बाद जब वह काम से अपने घर लौट रही थी, वह व्यस्त-समय की ट्रैफ़िक में फँस गयी। इस कारण उसने एक खास तौर से सुन्दर सूर्यास्त की ओर ध्यान दिया। उसके विचार उस सफ़री अध्यक्ष के भाषण की ओर घूम गए।
वह बताती है: “ट्रैफ़िक में फँस जाने की वजह से नाराज़ होने के बजाय, मैं ने उस सुन्दर सूर्यास्त की ओर ध्यान दिया, और इस ने मुझे याद दिलाया कि उस वक्ता ने यहोवा परमेश्वर को एक चित्रकार और सृजनहार के तौर से क़दर करने के विषय में क्या कहा था। इस से मैं सोचने लगी, ‘जो उस ने कहा, शायद वह सच हो; शायद सचमुच कोई सृजनहार हो।’ घर जाते जाते मैं उसके बारे में सोचती रही, और उस रात मैं ने मेरी उस सहेली को फ़ोन किया जिसने पहले मुझे किंग्डम हॉल में आमंत्रित किया था। मैं ने बाइबल का अध्ययन करना शुरू किया, और अब मैं यहोवा की अपने परमेश्वर और सृजनहार के तौर से उपासना करती हूँ।”
भजनकार के जैसे, इस औरत ने यहोवा की क़दर न केवल सृष्टि के महान् चित्रकार के नाते की, बल्कि वह उसकी स्तुति भी करने लगी। भजनकार ने लिखा: “यहोवा की स्तुति स्वर्ग में से करो . . . हे सूर्य और चन्द्रमा उसकी स्तुति करो, हे सब ज्योतिमय तारागण उसकी स्तुति करो! . . . वे यहोवा के नाम की स्तुति करें, क्योंकि उसी ने आज्ञा दी और ये सिरजे गए।”—भजन १४८:१-५.