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  • प्रहरीदुर्ग यहोवा के राज्य की घोषणा करता है—1991
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प्रहरीदुर्ग यहोवा के राज्य की घोषणा करता है—1991
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क्या आपको याद है?

क्या आपने प्रहरीदुर्ग के हाल के अंको पर ध्यानपूर्वक विचार किया है? अगर आपने किया हो, तो मुमकिन है कि आप इन निम्नलिखित बातों को याद कर सकेंगे:

◻ यहोवा के गवाहों के सिखाने के ढंग और ईसाईजगत के पादरी वर्ग के सिखाने के ढंग के बीच कौनसी बड़ी विषमता है?

यहोवा के गवाह परमेश्‍वर के वचन के अधिकार से सिखाते हैं, जबकि ईसाईजगत का पादरी वर्ग बाबेलोन और मिस्र से विरासत में आए मूर्तिपूजक परंपराओं पर अपनी शिक्षा आधारित करते हैं।—११/९१, पृष्ठ २५.

◻ परमेश्‍वर की आत्मा के फलों के नौ फलों में, जिनका उल्लेख गलतियों ५:२२, २३ में किया गया है, प्रेम सबसे बड़ा क्यों है?

परमेश्‍वर की आत्मा के अन्य आठ फल प्रेम के, जिसका उल्लेख पहले किया गया है, प्रदर्शन या विभिन्‍न पहलू हैं। आत्मा के ये सारे अन्य फल आवश्‍यक गुण हैं, लेकिन उन से हमें कोई लाभ नहीं मिलेगा अगर हम में प्रेम की कमी हो। (१ कुरिन्थियों १३:३)—१२/९१, पृष्ठ १४.

◻ जब यीशु ने अपने शिष्यों को “हमें परीक्षा में न ला,” यूँ प्रार्थना करने को कहा, तो उसका मतलब क्या था? (मत्ती ६:१३)

इन शब्दों से यह मतलब नहीं लिया जाना चाहिए कि यहोवा हमें पाप करने के लिए प्रलोभित करते हैं। इसके बजाय, हम मानो यहोवा से माँग सकते हैं कि जब हमें उनकी अवज्ञा करने के लिए प्रलोभित किया या दबाया जाता है, तब वह हमें उसके सामने झुकने न दें। हम अपने पिता से बिनती कर सकते हैं कि वह हमारे रास्ते के लिए इस तरह मार्गदर्शन दें कि हम पर ऐसा कोई प्रलोभन न आए जो हमारे बरदाश्‍त के बाहर हो। (१ कुरिन्थियों १०:१३)—९/९१, पृष्ठ २०.

◻ किसी व्यक्‍ति को बपतिस्मा कब लेना चाहिए?

बपतिस्मा एक ऐसा क़दम है जिसे तब लिया जाना चाहिए जब व्यक्‍ति ने परमेश्‍वर की इच्छानुसार करने के लिए, मसीह के ज़रिए यहोवा के प्रति एक सम्पूर्ण, निस्संकोच, और बिलाशर्त समर्पण किया है।—९/९१, पृष्ठ ३१.

◻ नूह के विश्‍वास ने दुनिया को किस तरह दोषी ठहरा दिया? (इब्रानियों ११:७)

नूह के आज्ञाकारी और धर्मी कार्यों से यह दर्शाया गया कि उसके परिवार और उसके अलावा अन्य लोग भी जलप्रलय से बच निकल सकते थे, यदि वे अपनी जीवन-शैली बदलने के लिए तैयार रहे होते। अपने अपरिपूर्ण शरीर, उसके इर्द-गिर्द की दुनिया और इब्लीस के दबावों के बावजूद, नूह ने साबित किया कि परमेश्‍वर को प्रसन्‍न करनेवाली ज़िन्दगी बिताना मुमकिन था।—१०/९१, पृष्ठ १९.

◻ शारीरिक बीमारी, उदासी, और आर्थिक कष्ट की परीक्षाओं से निपटते समय एक मसीही अपने आनन्द को किस तरह बनाए रख सकता है?

परमेश्‍वर के वचन से आवश्‍यक सान्त्वना और मार्गदर्शन मिलता है। भजन संहिता को पढ़ने या सुनने से, ज़रूरी नयी शक्‍ति मिल सकती है। दाऊद ने हमें सलाह दी है: “अपना बोझ यहोवा पर डाल दे, वह तुझे सम्भालेगा।” उसने हमें यह आश्‍वासन भी दिया कि यहोवा सचमुच ही “प्रार्थना के सुननेवाले” हैं। (भजन ५५:२२; ६५:२) अपने प्रकाशन और अपनी मण्डलियों के प्राचीनों के ज़रिए, यहोवा का संगठन हमेशा हमें अपनी समस्याओं से जूझने की मदद करने के लिए तैयार खड़ा है।—४/९१, पृष्ठ २३, २४.

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