क्या आपको याद है?
क्या आपने प्रहरीदुर्ग के हाल के अंको को पढ़ने का मूल्यांकन किया है? ख़ैर, देखिए कि क्या आप निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दे सकते हैं:
▫ वे चार तत्त्व क्या हैं जो एक विवाह को स्थायी बनाने में मदद कर सकते हैं?
वे हैं सुनने के लिए तत्परता, क्षमा माँगने की योग्यता, निरंतर भावात्मक समर्थन प्रदान करने की क्षमता, और स्नेहपूर्वक छूने की इच्छा। (१ कुरिन्थियों १३:४-८; इफिसियों ५:३३; याकूब १:१९)—९/१, पृष्ठ १३.
▫ वह एक तरीक़ा क्या है जिसके द्वारा यहोवा उनको धीरज प्रदान करता है जो परीक्षाओं का सामना करते हैं?
यहोवा अपने वचन, बाइबल में लेखबद्ध धीरज के उदाहरणों के द्वारा ऐसा करता है। (रोमियों १५:४) जैसे-जैसे हम इन पर विचार करते हैं, हम धीरज धरने के लिए प्रोत्साहित होते हैं, और कैसे धीरज धरना है इसके बारे में भी हम काफ़ी कुछ सीखते हैं।—९/१, पृष्ठ २३-२४.
▫ ईश्वरीय भक्ति क्या है?
ईश्वरीय भक्ति यहोवा के प्रति ऐसी भक्ति की ओर संकेत करती है जो हमें वे कार्य करने के लिए प्रेरित करती है जो उसे प्रिय लगते हैं। ऐसा कठिन परीक्षाओं के बावजूद भी किया जाता है क्योंकि हम हृदय से परमेश्वर से प्रेम करते हैं।—९/१, पृष्ठ २७.
▫ यह क्यों उपयुक्त है कि पौलुस धीरज को प्रेम के पहले पहलू के तौर पर सूचीबद्ध करता है?
यह कहा गया है कि धीरज के बिना, या एक दूसरे को धीरतापूर्वक सहन करने के बिना मसीही भाईचारे जैसी कोई चीज़ हो ही नहीं सकती। यह इस कारण है क्योंकि हम सब अपरिपूर्ण हैं, और हमारी अपरिपूर्णताएँ और कमज़ोरियाँ दूसरे लोगों के धीरज की हद को परखती हैं। इसलिए, यदि भाइयों के बीच प्रेम होना है तो धीरज अत्यावश्यक है।—१०/१, पृष्ठ २७.